यूपी में तमाम पार्ट‍ियां और नेता चुनावी गुणा-भाग में जुड़ गए हैं। अमेठी भी अपवाद नहीं है। यहां रजवाड़े से जुड़ी हस्‍त‍ियां सत्तर साल से राजनीति में हैं और अलग-अलग पार्ट‍ियों से जुड़ कर 1952 से अब तक 9 बार विधायक और 5 बार सांसद के साथ राज्य और केंद्र की सरकारों मेंं मंत्री तक बन चुकी हैं। 

अमेठी रजवाड़े के राजा रणंजय सिंह 1952 के पहले चुनाव में निर्दल विधायक चुने गए थे। इसके बाद 1969 में जनसंघ और 1974 में तीसरी दफा कांग्रेस से विधायक बने थे। इस बीच 1962 से 1967 तक अमेठी से कांग्रेस के सांसद थे। राजा रणंजय सिंह कभी चुनाव हारे नहीं थे। लेकिन उनके बेटे डॉ संजय सिंह और बहू डॉ अमिता सिंह चुनावी हार का स्‍वाद चख चुके हैं। 

राजा रणंजय सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के ल‍िए डॉ संजय सिंह 1977 में संजय गांधी के साथ राजनीति में गए थे। संजय गांधी 1977 में अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार गए थे। इसके बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में संजय गांधी अमेठी से पहली व आखिरी बार सांसद चुने गए। उसी दौर में डॉ संजय सिंह अमेठी से पहली दफा विधायक चुने गए थे।

सिंह को विधानसभा के पहले चुनाव में 1.21 लाख वोट मिले थे। इसके बाद 1985 में वह विधायक बने थे, लेकिन 1989 के विधानसभा चुनाव में मतदान के दिन शाम को संजय सिंह के ऊपर ताबड़तोड़ गोलियों से हमला हो गया था। वे इलाज के लिए लंदन चले गए थे। मतगणना के बाद कांग्रेस के हरिचरन यादव विधायक निर्वाचित घोष‍ित क‍िए गए थे। 

संजय सिंह को 1990 में जनता दल ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा भेजा था। इसके बाद वह चंद्रशेखर सिंह की सरकार में केंद्रीय संचार मंत्री बने थे। 1998 में वह अमेठी से भाजपा के ट‍िकट पर और 2009 में सुल्तानपुर से कांग्रेस के सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2014 में कांग्रेस से असम से राज्यसभा सांसद बने थे। लेकिन राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के सवा साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। 

संजय सिंह की पत्‍नी डॉ अमिता सिंह 2002 से 2012 के बीच तीन बार विधायक बनीं। विधायक बनने के पहले वह सुल्तानपुर से भाजपा की जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं। वह 2002 में पहली बार भाजपा से विधायक चुनी गई थीं। 2004 के विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस से दूसरी और 2007 में तीसरी बार विधायक बनी थीं। 2012 में सपा के गायत्री प्रजापति से वह हार गई थीं।

2017 में भी अमीता स‍िंह ने अमेठी से कोश‍िश की, पर बीजेपी की गर‍िमा स‍िंह मैदान मार गईं। तब अमीता स‍िंह कांग्रेस के ट‍िकट पर मैदान में थीं और चौथे नंबर पर रही थीं (देखें ऊपर टेबल)।

वह बीजेपी में हैं और एक बार फ‍िर 2022 के चुनावी समर के ल‍िए तैयार हो रही हैं। पर, देखने वाली बात है क‍ि क्‍या बीजेपी उन्‍हें ट‍िकट देगी और अगर दे द‍िया तो अमेठी की जनता उन पर भरोसा द‍िखाएगी? यह आने वाले समय में ही पता चलेगा।