देश के सबसे बड़े कालीन निर्यातकों में से एक भदोही में अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला और चौथे कालीन एक्सपो का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कालीन उद्यमियों और निर्यातकों को आश्वासन दिया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। उद्योग पर टैरिफ के प्रभाव की निगरानी और समाधान के लिए एक उच्च-स्तरीय सरकारी समिति के गठन की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई देश टैरिफ लगाता है तो सरकार 10 नए देशों के साथ व्यापार शुरू करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उद्यमियों के सुझावों को नीतिगत निर्णयों में शामिल करने के लिए एक समिति बनाने पर विचार कर रही है।

आदित्यनाथ ने कहा, “अमेरिका ने टैरिफ लगाया है, लेकिन यह सिर्फ एक देश का फैसला है। हम यूएई, यूके और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे हमारे उद्योगों के लिए नए रास्ते खुलेंगे।”

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मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कालीन उद्योग सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि कारीगरों और शिल्पकारों की एक जीवंत परंपरा है। उन्होंने कहा कि आज यह 25-30 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है और लगभग 17,000 करोड़ रुपये का वार्षिक निर्यात उत्पन्न करता है। यह क्षेत्र महिला सशक्तिकरण के एक प्रमुख माध्यम के रूप में भी उभरा है, क्योंकि सरकार अधिक महिलाओं को घर से काम करते हुए इसमें भाग लेने और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 साल पहले कालीन उद्योग पतन के कगार पर था, लेकिन भदोही में एक कालीन एक्सपो मार्ट की स्थापना के साथ भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी के कालीन समूहों को पुनर्जीवित किया गया। पहले एक्सपो में जहां बहुत कम विदेशी खरीदार आए थे, वहीं अब 88 देशों के 300-400 खरीदार एक्सपो में आते हैं, जो भदोही कालीनों की बढ़ती वैश्विक मांग को दर्शाता है।

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उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) और एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजनाओं के तहत प्रत्येक जिले में विशिष्ट उद्योगों को बढ़ावा दिया है, जिससे भदोही कालीन, मुरादाबाद पीतल, फिरोजाबाद कांच और वाराणसी रेशम को नई पहचान मिली है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि जब 2017 में ओडीओपी पहल शुरू हुई थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि उत्तर प्रदेश 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निर्यात कर पाएगा, लेकिन आज यह उपलब्धि हासिल हो गई है। उन्होंने यह भी बताया कि दिवाली के दौरान, सभी 75 जिलों में स्वदेशी मेलों का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें भदोही के कालीनों के लिए विशेष स्टॉल लगाए जा रहे हैं।

उद्यमी रवि पटेरिया ने कहा, “कालीन उद्योग हाथों से रचा गया जादू है। हमने दुनिया का सबसे बड़ा कालीन बनाकर कजाकिस्तान भेजा है। यह कला विशेष पहचान की हकदार है।” चार दशकों से इस उद्योग से जुड़ी आदर्श पूर्णिमा ने कहा, “जब आध्यात्म और राजनीति एक साथ आते हैं, तो सफलता निश्चित है।”

निर्यातक आलोक बरनवाल ने बुनकरों की कमी और मजदूरों के पलायन पर चिंता जताई, जबकि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया, “हम आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए उद्योग को महिलाओं और स्थानीय कामगारों से जोड़ रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य सिर्फ उद्योग को बचाना नहीं, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। जब एक देश टैरिफ लगाता है, तो हम 10 नए देशों के लिए रास्ते खोलेंगे। यही आत्मनिर्भर भारत की भावना है। हमें चुनौतियों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें अवसरों में बदलना चाहिए।” मुख्यमंत्री ने विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को 2 करोड़ रुपये तक के ऋण भी वितरित किए।