असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के लिए बुधवार को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की और जनता की आकांक्षाएं पूरी नहीं कर पाने पर खेद जताया। गोगोई से जब पूछा गया कि क्या वह कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेंगे तो उन्होंने कहा, ‘हां, मैं चुनावी हार के लिए जिम्मेदार हूं। मैं नेता हूं। अगर मैं जिम्मेदार नहीं हूं तो कौन होगा?’
उन्होंने कहा कि संभवत: उनकी सरकार जनता की आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतरी और इसलिए वे चुनाव में हार गए। गोगोई ने कहा, ‘हम इस बात का विश्लेषण करेंगे कि हमें ऐसी हार क्यों मिली। हमने कुछ गल्तियां की होंगी। हम इसके लिए जनता से खेद प्रकट करते हैं। हम अब पार्टी को मजबूत करेंगे। हम पार्टी के पुनर्गठन पर काम कर रहे हैं। गल्तियां पता लगाने और जनता के पास जाने की चुनौती है।’
इस बार के हालात 1985 में असम गण परिषद के सत्ता में आने के समय जैसे बताते हुए उन्होंने कहा कि तब भी विदेशियों के मुद्दे ने मुख्य भूमिका निभाई थी और इस बार भी ऐसा ही हुआ। गोगोई ने कहा, ‘एजीपी ने समय का फायदा उठाया था और अब भाजपा ने। भाजपा यह प्रचार करके जनता को बांटने में सफल रही कि असमिया लोगों और हिंदुओं का अस्तित्व खतरे में है। हमने घुसपैठ के मुद्दे पर कदम उठाए लेकिन संघ ने जिस तरह से इसे पेश किया, हम अनुमान नहीं लगा सके। पहले ही खबरें आ चुकी हैं कि असम चुनावों में संघ के 25000 से अधिक कार्यकर्ताओं ने काम किया।’
उन्होंने कहा कि कांगे्रस कार्यकर्ताओं का उत्साह कम नहीं हुआ है क्योंकि असम की 31 फीसद जनता ने कांग्रेस के लिए वोट दिया जबकि भाजपा को अकेले दम पर 29 फीसद वोट ही मिले। भाजपा नीत गठबंधन को 41 फीसद वोट मिले। गोगोई ने कहा, ‘2011 में हमें 39 फीसद वोट मिले थे। इस बार इसमें कमी आई लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों की तुलना में इसमें बढ़ोतरी हुई है। हम 15 साल सेवा का मौका देने पर जनता के आभारी हैं। हम कई मोर्चों पर सफल रहे और कुछ में नाकाम भी रहे।’ फिलहाल सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की कोई योजना नहीं होने की बात करते हुए गोगोई ने कहा कि कांग्रेस अब खुद को 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए तैयार करेगी।