बिहार में जहां नीतीश कुमार सरकार भले पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी है, लेकिन पश्चिम बंगाल में भारी आर्थिक तंगी से जूझ रही ममता बनर्जी सरकार की निगाहें शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व पर टिकी हैं। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने एक अप्रत्याशित फैसले में अब क्लबों और बार को पूरे साल शराब बेचने की अनुमति दे दी है। इसका मतलब यह है कि राज्य के लोग अब पूरे साल शराब खरीद और पी सकते हैं। यही नहीं, राज्य में शराब की दुकानों के लिए साल में 12 की जगह अब महज साढ़े चार ड्राई डे ही होंगे। यानी भारत-निर्मित विदेशी शराब बेचने वाली तमाम दुकानें पूरे साल में महज साढ़े चार दिन ही बंद रहेंगी। अपने पिछले बजट में सरकार ने कुल राजस्व आय का नौ फीसद आबकारी से होने का अनुमान लगाया था। मंगलवार को इस आशय की सरकारी अधिसूचना भी जारी कर दी गई।
अधिसूचना में कहा गया है कि शराब की दुकानें अब साल में 12 दिन की जगह साढ़े चार दिन ही बंद रहेंगी। इनमें गणतंत्र दिवस, स्वाधीनता दिवस, गांधी जयंती व मुहर्रम शामिल हैं। इसके अलावा होली में अब यह दुकानें दोपहर दो बजे तक ही बंद रहेंगी। लेकिन होटलों से जुड़े बारों और क्लबों को इस नियम से छूट दी गई है। यानी वे पूरे साल शराब बेच सकते हैं। सरकार का यह फैसला उत्सव का त्योहार शुरू होने से ठीक पहले आया है। दरअसल, भारी आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकार शराब की बिक्री बढ़ा कर इसके जरिए अपना राजस्व बढ़ाना चाहती है। उसने अपने पिछले बजट में कुल राजस्व का नौ फीसद आबकारी से होने का अनुमान लगाया था।
वित्त विभाग के अधिकारियों ने इस ताजा फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन आम लोगों ने इस फैसले को व्यवहारिक करार दिया है। एक उद्योगपति ने कहा कि ड्राई दिनों में भी ज्यादा कीमत देकर शराब हासिल की जा सकती है। ऐसे में सरकार का यह फैसला व्यवहारिक है। इससे बिचौलियों पर अंकुश लगेगा। इसके अलावा लोग ड्राई डे से पहले ही शराब का स्टाक जुटा लेते थे। ऐसे में ड्राई डे का कोई औचित्य समझ में नहीं आता।

