जालंधर के एक सिविल जज ने सरकारी कर्मचारी के खिलाफ गंभीर शिकायत दर्ज कराई है। जज ने आरोप लगाया है कि सरकारी कर्मचारी ने दफ्तर में काम के दौरान बदतमीजी और धमकी भरा व्यवहार किया। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के सचिव राहुल कुमार आजाद ने पवन कुमार वर्मा के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई है। वर्मा जालंधर में डिप्टी कमिश्नर (डीसी) कार्यालय में वरिष्ठ सहायक के तौर पर कार्यरत हैं। शिकायत मंगलवार को भेजी गई।

जज आजाद ने कहा है कि वर्मा का व्यवहार न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि सरकारी कर्मचारी के लिए भी अनुपयुक्त है। उन्होंने डिप्टी कमिश्नर हिमांशु अग्रवाल से सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। डीसी हिमांशु अग्रवाल ने पुष्टि की है कि उन्होंने पवन वर्मा को कारण बताओ नोटिस भेजकर उनसे उनके कार्यों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है।

घटना 3 जून की दोपहर 3 बजे कोर्ट परिसर में हुई

वर्मा के जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह घटना 3 जून को दोपहर करीब 3 बजे न्यायिक न्यायालय परिसर में एडीआर सेंटर में हुई। वर्मा दो अन्य अधिकारियों के साथ वहां आए थे। उन्होंने अकाउंट क्लर्क से हिट एंड रन मामलों में मुआवजे से संबंधित कुछ केस फाइलें वापस करने को कहा। ये फाइलें पहले 22 जुलाई 2024 को डीसी ऑफिस भेजी गई थीं और 20 नवंबर 2024 को स्पष्टीकरण पत्र भी भेजा गया था।

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जब क्लर्क ने वर्मा को बताया कि मामले की जांच पहले से ही चल रही है, तो वर्मा कथित तौर पर बिना अनुमति के जज आजाद के ऑफिस में घुस गए। इसके बाद उन्होंने बदतमीजी से पेश आना शुरू कर दिया और जज पर दबाव बनाने की कोशिश की कि या तो फाइलें वापस ले लें या तुरंत लिखित इनकार कर दें। जज आजाद ने कहा कि वर्मा ने धमकी भरे अंदाज में काम किया। जाने के लिए कहने के बाद भी वह जज के ऑफिस में ही रहे।

उन्होंने एक जूनियर महिला कर्मचारी को डीएलएसए के खिलाफ शिकायत लिखकर सरकार को भेजने का आदेश भी दिया। जज ने कहा कि इस तरह की हरकतें पूरी तरह से गलत हैं और सरकारी कर्मचारी से ऐसी उम्मीद नहीं की जाती। वर्मा ने कथित तौर पर यह भी कहा कि उन्हें डीएलएसए के आदेशों का पालन करने की जरूरत नहीं है और बातचीत के दौरान अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। मामले की जांच अब डिप्टी कमिश्नर कर रहे हैं।