करीबन साल भर बाद बुलाई प्रेस कांफ्रेंस में भागलपुर की आयुक्त वंदना किन्नी ने कहा कि भागलपुर स्मार्ट सिटी के काम में तेजी लाई जा रही है। मालूम रहे कि तीन साल से घोषित भागलपुर स्मार्ट सिटी पर केवल बैठकें ही हो रही है। काम कहीं नहीं दिख रहा है। 382 करोड़ रुपए करीब बैंक खाते में सालों से पड़े है। सड़क किनारे लाखों की लागत से बने स्मार्ट शौचालय आंधी में उड़ गए। खुद वंदना किन्नी आयुक्त ओहदे पर आए 15 महीने से ज्यादा हो गए। और तकरीबन बीस से ज्यादा बैठकें कर चुकी है। तीन आईएएस नगर आयुक्त पद पर आ चुके है।
फिर भी आयुक्त को उम्मीद है कि इस साल के अंत या अगले साल के जनवरी तक भागलपुर स्मार्ट सिटी का काम सिरे चढ़ता दिख जाएगा।वे बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर स्मार्ट सिटी योजना के तहत चल रहे काम की जानकारी दे रही थी। आयुक्त ने कहा कि कोरोना और कई पद रिक्त रहने की वजह से काम में देरी हुई है। अब 70 फीसदी खाली पड़े स्मार्ट सिटी अधिकारियों के पद भर लिए गए है। सैंडिस कंपाउंड और कमांड एंड कंट्रोल (ट्रिपल सी) का काम तेजी पर है। इन दोनों का काम आवंटित कर एजंसी से करारनामा कर लिया गया है।
सैंडिस कंपाउंड में विभिन्न खेलों , बैडमिंटन, बच्चों का पार्क , भव्य गेट, वाकिंग ट्रेक, स्टेशन क्लब का जीर्णोद्धार बगैरह कराने की योजना है। फिलहाल चहारदीवारी का काम शुरू हो चुका है। कमांड एंड कंट्रोल में सॉफ्टवेयर से जुड़े काम राज्य की चार घोषित भागलपुर, पटना, मुजफ्फरपुर और बिहारशरीफ में नगर विकास महकमा अपने स्तर से बेल्टरों कंपनी से कराएगा। इस बात की जानकारी नगर विकास महकमा ने आयुक्त को दी है।
आयुक्त वंदना किन्नी ने साफ तौर से इंकार किया कि ई-टॉयलेट बनाने की कोई योजना स्मार्ट सिटी के तहत अब तक नहीं बनी है। इसके लिए अफवाहों से सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भागलपुर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल में एक सौ बिस्तर वाला विश्राम गृह बनाने की योजना बनी है। यह उनके लिए होगा जिनके मरीज अस्पताल में इलाजरत होंगे। और मरीज के परिजन सुकून से रह सकेंगे।
आयुक्त ने बताया कि गंगा नदी किनारे गंगा दर्शन के लिए तीन घाट चयन किए गए थे। मगर दो घाट अतिक्रमण से घिरे है। और बेहद छोटे है। इसको खाली कराने के चक्कर में सालों लग जाएंगे। इसलिए बूढ़ानाथ घाट प्राथमिकता के आधार पर दर्शनीय बनाने की योजना बनी है। इसके अलावे वर्तमान टाउनहाल को जमींदोज कर नया सुसज्जित टाउनहाल बनाया जाना तय हुआ है।
उन्होंने बताया कि गंगा नदी किनारे बसे झोपड़पट्टी के लोगों के वास्ते सड़क, रोशनी, स्कूल का जीर्णोद्धार, सामुदायिक भवन बगैरह बनाने के वास्ते सर्वे कराया जा रहा है। इन सब योजनाओं के लिए प्राक्कलन , नक्शा (डीपीआर) तैयार कराया जा रहा है। आईआईटी से परामर्श कर डिजाइन पारित कराने के बाद ही स्मार्ट सिटी के काम को सरजमीं पर उतारा जाता है। इस प्रक्रिया में समय तो लगना स्वभाविक है। ऐसा आयुक्त ने कहा।
एक सवाल पर आयुक्त ने कहा कि भागलपुर जाम के झाम से परेशान है। इस सिलसिले में परिवहन अधिकारी के नेतृत्व में एक कमेटी बनी थी। मगर अबतक रिपोर्ट नहीं आई है। बगैर परमिट के ऑटो और ट्रकें चल रही है। एनएच 80 और बाईपास सड़कें टूटी है। इसके लिए ज़िलाधीश ने लिखा है। साथ ही ओवर लोडिंग रोकने के वास्ते मिर्जाचौकी पर नाका तो बनाया गया है। मगर मजिस्ट्रेट के बगैर कारगर नहीं है। डीएम से तैनाती के लिए कहा गया है। बाढ़ से सतर्कता के वास्ते हरेक हफ्ते समीक्षा की जा रही है। मुंगेर व भागलपुर डिवीजन के सभी ज़िले सतर्क है।
यहां एक बात ध्यान देंना जरूरी है कि भागलपुर स्मार्ट सिटी घोषित हुए तीन साल से ज्यादा हो चुके है। मगर अभी तक बैठकें ही हो रही है। धरातल पर काम कहीं नजर नहीं आता। लोग नाउम्मीद से हो गए है। देखना है आयुक्त के दावे में कितना दम है।

