Chhattisgarh: पति के साथ उसके ऑफिस में जाकर गाली-गलौज करना और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना एक प्रकार की क्रूरता है और इस केस में पति के पास तलाक लेने का अधिकार है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने यह फैसला पति-पत्नी के एक मामले में सुनाया है। इस मामले में एक महिला ने पारिवारिक न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी,

न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए पति को तलाक मांगने का आधिकार दिया है।

कोर्ट ने कहा, “यह स्थापित है कि पत्नी अक्सर अपने पति के कार्यालय जाती थी और ऑफिस स्टाफ के सामने अपने पति के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करती थी। ऐसी स्थिति में जब पत्नी पति के कार्यालय परिसर में जाती है, उसे गाली देती है और उस पर किसी के साथ संबंधों का आरोप लगाती है, तो इस तरह सहकर्मियों के सामने पति की छवि खराब होगी।”

पीठ ने यह भी कहा कि पत्नी द्वारा मुख्यमंत्री के पास दायर एक शिकायत में आरोप लगाया गया है कि उसके पति के एक महिला सहयोगी के साथ अवैध संबंध हैं, इसलिए महिला ने पति के तबादले की मांग की है। फैसले में कहा गया , “बिना किसी आधार के पत्नी द्वारा पति के खिलाफ यह शिकायत करना कि उसके एक महिला सहकर्मी के साथ अवैध संबंध हैं इसलिए पति के ट्रांसफर का दावा करना क्रूरता की श्रेणी में आएगा।” उच्च न्यायालय ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि इस आधार पर पति पत्नी से तलाक ले सकता है।

क्या है पूरा मामला

इस जोड़े ने साल 2010 में शादी की थी और इसके एक बच्चा है। पति ने पत्नी परआरोप लगाया है कि वह अपनी मर्जी से पैसे खर्च करती है और पति के अपने माता-पिता के पास जाने पर आपत्ति जताती है। पति ने आगे आरोप लगाया कि पत्नी उसकी पूरी तनख्वाह छीन लेती थी और उसे अपने व्यवसाय में खर्च कर देती थी। अगर खर्चे के बारे में कुछ पूछा जाता है तो वह गाली-गलौज के साथ जवाब देती है। यह भी आरोप लगाया गया कि पत्नी ने पति की सहमति के बिना उधार पर 5 वाहन खरीदे। पति का कहना है कि पत्नी ने बिना किसी आधार के उस पर महिलाओं के साथ अवैध संबंध रखने का भी आरोप लगाना शुरू कर दिया।

इसके बाद पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए अर्जी दी। फैमिली कोर्ट ने तथ्यों और सबूतों का मूल्यांकन करने के बाद याचिका को स्वीकार कर लिया और तलाक की अनुमति दे दी। दिलचस्प बात यह है कि पत्नी की बहनों में से एक ने अपने बहनोई के पक्ष में ही कोर्ट में गवाही दी। इसके बाद पत्नी ने हाईकोर्ट में फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी।