छत्तीसगढ़ सरकार धर्मांतरण के खिलाफ विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। गृह मंत्री विजय शर्मा ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार अगले विधानसभा सत्र में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ एक विधेयक लाएगी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून में ‘चंगाई सभा’ (धर्मांतरण विरोधी सभाओं) से निपटने के प्रावधान भी शामिल होंगे।
पत्रकारों से बात करते हुए विजय शर्मा ने कहा, “अगले विधानसभा सत्र में हम एक ऐसा अधिनियम लाएंगे जो मेरा मानना है कि सभी राज्य-स्तरीय कानूनों (धर्मांतरण विरोधी) से एक कदम आगे होगा क्योंकि हमने इन सभी कानूनों का अध्ययन करने के बाद इसका ड्राफ्ट तैयार किया है। साथ ही, चंगाई सभा जैसे आयोजन, जिनके बारे में हम सभी जानते हैं कि ये लोगों को भ्रमित करने के लिए किए जाते हैं को रोका जाना चाहिए। चंगाई सभा से निपटने के लिए कानून में एक प्रावधान की आवश्यकता है जो इस अधिनियम में किया जाएगा।”
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के आरोप बड़ा मुद्दा
वर्तमान में ऐसे मामले छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 के अंतर्गत आते हैं। राज्य में धर्मांतरण के आरोप बड़ा मुद्दा रहे हैं। इस साल 25 जुलाई को, केरल की दो ननों को दुर्ग राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने नारायणपुर ज़िले की तीन महिलाओं की कथित तौर पर तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था, जिससे राजनीतिक विवाद छिड़ गया था।
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छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में धर्मांतरण को लेकर टकराव
जनवरी 2023 में, लगभग 50 लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर नारायणपुर ज़िले के एक चर्च में तोड़फोड़ की और पुलिस अधीक्षक सहित पुलिस अधिकारियों पर हमला किया। इस घटना के बाद, ईसाई धर्म अपनाने वाले 100 से ज़्यादा लोगों का कथित तौर पर कांकेर, कोंडागांव और नारायणपुर स्थित उनके गांवों से सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया और उन्हें नारायणपुर के एक स्टेडियम में रहना पड़ा। रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में कथित धर्मांतरण को लेकर दक्षिणपंथी समूहों और ईसाइयों के बीच कई बार टकराव हुआ है। बस्तर क्षेत्र में, ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों और दलितों को भी गांव के कब्रिस्तानों में अपने मृतकों को दफनाने पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ा है।
इस साल जनवरी में, रमेश बघेल ने अपने पिता, सुभाष (जो एक पादरी थे) को बस्तर ज़िले के छिंदवाड़ा में दफनाने की अनुमति मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार को दो महीने के भीतर राज्य भर में ईसाइयों के लिए विशेष कब्रिस्तान स्थलों का सीमांकन करने का निर्देश दिया।