छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में सुरक्षा बल के परिसर में 400 महिंद्रा बोलेरो SUV बिना इस्तेमाल के सड़ रही हैं। ये गाड़ियां पिछले साल राज्य के 22 शहरों में इमरजेंसी डायल-112 सर्विस के लिए खरीदे गए थे। इनका काम SOS कॉल का जवाब देना था, जिसमें लोगों को अस्पताल ले जाना और आपदा प्रतिक्रिया में सहायता करना शामिल था।

छत्तीसगढ़ में डायल-112 आपातकालीन सेवा परियोजना के लिए 2023 में खरीदे गए 400 बोलेरो वाहन रायपुर में सीएएफ (छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल) के अमलेश्वर बटालियन मैदान में बेकार पड़े हैं और खराब हो रहे हैं।

फिर भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता से बाहर हो गई और अब एक साल से अधिक समय से ये एसयूवी सड़ रही हैं। इस बीच, भाजपा और कांग्रेस इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा करोड़ों में खरीदे गए इन वाहनों का उद्देश्य राज्य के 34 में से 33 जिलों में आपातकालीन प्रतिक्रिया कवरेज का विस्तार करना था। यह सेवा अब तक 11 जिलों में लागू की जा चुकी है।

धूल में सड़ रही हैं करोड़ों की SUVs

हालांकि, 15 महीने बाद भी यह गाड़ियां बिना इस्तेमाल के पड़ी हैं, धूल से ढकी हुई हैं, उनके टायर क्षतिग्रस्त हैं, बैटरियां खत्म हो चुकी हैं और तारों में चूहे घुसे हुए हैं। एक तरह जहां ये 400 गाड़ियां मैदान में बेकार पड़ी धूल खा रही हैं वहीं, राज्य के कई हिस्सों में आपदा प्रतिक्रिया में बड़ी खामियां और आपातकाल के दौरान सार्वजनिक वाहनों की अनुपलब्धता के उदाहरण देखने को मिल रहे हैं।

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2023 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस द्वारा लाई गई डायल-112 परियोजना ठप हो गई थी

दरअसल, दिसंबर 2023 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार द्वारा लाई गई डायल-112 विस्तार परियोजना ठप हो गई थी। नई सरकार ने अनुबंधित कंपनी को डिफॉल्टर करार देते हुए कांग्रेस शासन में जारी टेंडर को रद्द कर दिया था। जिसके बाद से कांगेस और बीजेपी इस मुद्दे पर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। अभी तक कोई नया टेंडर जारी नहीं किया गया है, जिससे वाहन बेकार पड़े हैं और राज्य के 34 जिलों में से केवल 11 में ही इमरजेंसी सर्विस चालू हैं।

पिछले साल जुलाई-अगस्त में भाजपा सरकार के सत्ता में आने से कुछ महीने पहले ये वाहन 40 करोड़ रुपये में खरीदे गए थे। तब से ये वाहन ऐसे ही पड़े हुए हैं। जानकारों का कहना है कि नए टेंडर जारी होने में कम से कम 5-6 महीने लगेंगे ताकि वाहनों को इस्तेमाल में लाया जा सके। ऐसा होने के बाद, प्रत्येक एसयूवी को इस्तेमाल में लाने से पहले कम से कम 20,000 रुपये की लागत से रखरखाव की जरूरत होगी। देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com LIVE ब्लॉग