मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में आदि शंकराचार्य की जीवनी को शामिल किया जाएगा। आदि शंकराचार्य का प्रकटोत्सव सोमवार को पूरे प्रदेश में मनाया गया। सभी जिलों में आदि शंकराचार्य के जीवन और दर्शन पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला आयोजित की गई। राजधानी में विधानसभा के मानसरोवर सभागार में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती की उपस्थिति में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, “आदि शंकराचार्य की जीवनी और सनातन धर्म के उद्धार में उनके योगदान पर आधारित पाठ स्कूली शिक्षा में शामिल किया जाएगा।”
उन्होंने आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास की स्थापना करने की घोषणा करते हुए कहा कि इसके माध्यम से आदि शंकराचार्य के दर्शन एवं वेदांत शिक्षा के प्रसार की गतिविधियां संचालित होंगी। संत समाज मार्गदर्शन करेगा, जबकि सरकार सहयोगी की भूमिका में होगी।
चौहान ने आगे कहा कि विकास करने के अलावा संतों के मार्गदर्शन में नई पीढ़ी को सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कारों से शिक्षित और दीक्षित करना भी सरकार का काम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की पवित्र गुफा का जीर्णोद्धार होगा, जहां उन्होंने अपने गुरु के मार्गदर्शन में तपस्या की थी। ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा निर्माण के लिए अष्टधातु संग्रहण अभियान एक जून से 30 जून तक चलेगा।
चिन्मय मिशन के स्वामी सुबोधानंद ने कहा कि आदि शंकराचार्य के प्रकटोत्सव को जनपर्व के रूप में मनाया जाना चाहिए। स्वामी गोविंद देव गिरि ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने वेदांत दर्शन के माध्यम से सभी प्रकार के संशयों और भ्रांतियों को दूर कर दिया है। हर व्यक्ति को वेदांत ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार है। स्वामी परमानंद गिरि ने कहा कि आदि शंकराचार्य के दर्शन को जीने की जरूरत है। जीव है तो ब्रह्म है और ब्रह्म होगा तो जीव होगा। आदि शंकराचार्य की वेदांत शिक्षाओं का समाज में विस्तार करना होगा। इससे सभी प्रकार के संघर्षो का समाधान मिलेगा।
आध्यात्मिक विषयों पर लेखन करने वाले विट्ठल सी़ नाडकर्णी ने कहा कि मुख्यमंत्री नर्मदा सेवा यात्रा और आदि शंकराचार्य का प्रकटोत्सव मनाकर सांस्कृतिक पहचान को पुन: स्थापित किया गया है। इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने उद्घोष किया था कि सब मनुष्य बराबर हैं। कोई भी मनुष्य चाहे वह किसी भी वर्ण या जाति में जन्मा हो, अपने पुरुषार्थ से पांडित्य और वेदांत ज्ञान प्राप्त कर सकता है।
भाजपा के संगठन मंत्री रामलाल ने आदि शंकराचार्य के प्रकटोत्सव को मनाने को सराहनीय कार्य बताते हुए कहा कि भारत को सांस्कृतिक रूप से शक्तिशाली बनने की आवश्यकता है, क्योंकि भविष्य में भारत को ही वेदांत दर्शन की स्थापना विश्व में करनी है।

