कभी डाकुओं की पनाह रही चंबल घाटी अब ईको टूरिज्म का हब बन गई है। अगर परिणाम मुफीद निकले तो चंबल घाटी की खूबसूरत तस्वीर दुनिया के सामने आ कर जल्द ही खड़ी हो जाएगी। वन विभाग ने स्कॉन से किया करार: उत्तर प्रदेश वन विभाग ने पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फार कंजर्वेशन आॅफ नेचर से करार किया है जिसके तहत चंबल मे आने वाले पर्यटक दुर्लभ घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और विदेशी पक्षियों के साथ खूबसूरत बीहड़ का दीदार कर सकेंगे। सर्दी में आते हैं पंछी: भारत आने वाले पक्षियों में साइबेरिया से पिनटेल डक, शोवलर, डक, कामनटील, डेल चिक, मेलर्ड, पेचर्ड, गारगेनी टेल तो उत्तर-पूर्व और मध्य एशिया से पोचर्ड, कामन सैंड पाइपर के साथ-साथ फ्लेमिंगो भी आते हैं। चंबल सेंचुरी में भ्रमण की शुरुआत सहसों व बरचौली से पांच किलोमीटर दायरे में होगी। यहां पर डॉल्फिन, मगरमच्छ, घड़ियाल, कछुए व प्रवासी और अप्रवासी पक्षी आकर्षण का केंद्र होंगे। दूसरे स्थान भरेह से पथर्रा आठ किलोमीटर का क्षेत्र होगा। यहां जलीय जीवों और पक्षियों के साथ भरेह किला एवं भारेश्वर महादेव मंदिर का दीदार भी कराया जाएगा। इसके अलावा भरेह से पचनदा पंद्रह किमी क्षेत्र तीसरे स्थान के रूप में चुना गया है।

चंबल में 180 तरह के पक्षी: यहां शीतकाल के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही यहां प्रवासी पक्षी आते हैं। हर साल जनवरी-फरवरी में होने वाले वार्षिक सर्वे में लगभग 180 प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां चिह्नित की जाती हैं। इनमें कई ऐसे पक्षी भी मिलते हैं जो दुर्लभ श्रेणियों में हैं। चार मोटरवोट का किया गया है इंतजाम: चार मोटर बोट की व्यवस्था की गई है जो तीन स्थानों पर चलेंगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने का सपना इटावा जिले में साकार हो गया है जिसकी शुरुआत डकैतों को पनाह देने वाली चंबल घाटी से हुई है।

पिछले कई वर्षों से यह योजना विचाराधीन थी। अब वन विभाग ने इसके लिए पहल की है। इसमें जलीय जीवों, विदेशी पक्षियों के साथ चंबल घाटी के मंदिर एवं पुराने ऐतिहासिक किलों को भी दिखाए जाने की योजना है। इसके लिए इटावा के श्यामनगर में एक बुकिंग केंद्र खोल दिया गया है। चार मोटर बोट तैनात कर दी गई हैं । पर्यटकों को लाइफ जैकेट के साथ दूरबीन और नेचर गाइड भी उपलब्ध होंगे।
-संजीव चौहान, प्रबंधक,स्कॉन

उत्तर प्रदेश का विकास पर्यटन के साथ जोड़ने का बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में उपलब्ध कराया जा रहा। इको पर्यटन इसी दिशा में एक कदम है। वन विभाग और सोसाइटी फॉर नेचर कंजर्वेशन के सहयोग से चंबल सेंचुरी क्षेत्र में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए योजना शुरू कर दी गई है। इससे पर्यटक चंबल के सौदर्य को देख सकेंगे ।
-आनंद कुमार, उप वन संरक्षक,राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य

ईको पारिस्थितिकी पर्यटन का एक विशेष रूप है, जो पर्यटन के प्राकृतिक पर्यावरण एवं संसाधनों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को काफी हद तक कम करते हुए पर्यटन को एक नया आयाम देता है। पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के विभिन्न अवयवों की स्थिति में सतत सुधार एवं विकास करते हुए निरंतर जागरूकता रखने के लिए ईको पर्यटन मनोरंजन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आवश्यक हो गया है।
डॉ राजीव चौहान, संरक्षण अधिकारी,भारतीय वन्य जीव संस्थान