भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने राकांपा नेता एवं पूर्व मंत्री छगन भुजबल के खिलाफ मुंबई विश्वविद्यालय के कालीना परिसर के केन्द्रीय पुस्तकालय के ठेका देने के बदले कथित रूप से रिश्वत लेने के मामले में सोमवार (28 मार्च) को 17400 पन्ने का आरोपपत्र दाखिल किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र सदन के निर्माण घोटाले के संबंध में धनशोधन मामले में भुजबल को 14 मार्च को गिरफ्तार किया था और वह अभी आर्थर रोड जेल में बंद हैं। उनकी न्यायिक हिरासत 31 मार्च तक है।
एसीबी ने सोमवार को यह भारी-भरकम आरोपपत्र दाखिल किया जिसमें भ्रष्टाचार उन्मूलन कानून तथा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक साजिश, भ्रष्टाचार, धोखेधड़ी और जालसाजी के मामलों में महाराष्ट्र के लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों समेत भुजबल और छह अन्य आरोपियों के खिलाफ दस्तावेजी सबूत हैं। भुजबल और अन्य पर एसीबी का आरोप है कि उन्होंने एक भूखंड को बेहद कम दर पर एक निजी डेवलपर को पट्टे पर दे कर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया और इसके लिए आरोपियों को रिश्वत में भारी रकम मिली।
एसीबी के अनुसार मामला कालीना में स्थित मुंबई विश्वविद्यालय के एक अहम भूखंड का है जिसने राज्य सरकार को एक पुस्तकालय का निर्माण करने के लिए चार एकड़ का भूखंड दिया था। भुजबल के कार्यकाल के दौरान पीडब्ल्यूडी ने 2009 में कथित रूप से भूखंड के एक हिस्से में पुस्तकालय बनाने के लिए निविदा जारी की और कथित रूप से बाकी जमीन एक नामी डेवलपर को 1 रूपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 99 साल के लिए पट्टे पर दे दिया। इसे एसीबी अवैध बता रहा है।
एसीबी का आरोप है कि इस प्रकरण में राजस्व विभाग को अंधेरे में रखा गया और कलक्टर को सूचित नहीं किया गया। इस साल भुजबल के खिलाफ एसीबी की तरफ से दाखिल किया गया यह दूसरा आरोपपत्र है। पहला आरोपपत्र फरवरी में महाराष्ट्र सदन घोटाले के सिलसिले में भुजबल और 16 अन्य लोगों के खिलाफ दाखिल किया गया था।