दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के पास अपने शिक्षण और गैर शिक्षण कर्मचारियों को वेतन देने के लिए धन नहीं है। फरवरी में मिलने वाला वेतन अभी तक कर्मचारियों को नहीं मिला है। इसमें अभी एक से दो हफ्ते का समय लग सकता है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से सभी कर्मचारियों से मानसिक रूप से तैयार रहने की अपील की गई है।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कर्नल आरके सिंह (सेवानिवृत्त) की ओर से सभी कर्मचारियों को लिखित अपील की है और कहा है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से फंड नहीं मिलने की वजह से फरवरी माह में वेतन मिलने में देरी हो सकती है। इस वजह से आपको परेशानी हो सकती है। रजिस्ट्रार की ओर से लिखा गया है कि अगले कुछ महीनों के दौरान भी वेतन में एक से दो हफ्ते तक देरी हो सकती है जिसके लिए सभी कर्मचारी मानसिक रूप से तैयार रहें।
विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फंड की दिक्कत सिर्फ हमारे विश्वविद्यालय में ही नहीं है बल्कि नए खुले सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में है। उन्होंने बताया कि एचआरडी मंत्रालय की ओर से फंड नहीं मिलने से यह समस्या पैदा हुई है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि इस समस्या का समाधान जल्द ही निकाल लिया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय के दबाव में विश्वविद्यालय ने लगातार शिक्षण और गैर शिक्षण पदों पर भर्ती की है लेकिन हमारा बजट जितना अप्रैल 2019 में था, उसे बढ़ाया नहीं गया। इस वजह से यह वित्तीय संकट हमारे सामने आया है।
इससे पहले 13 सितंबर 2019 को डिप्टी रजिस्ट्रार प्रतीश कुमार दास की ओर से जारी नोटिस में सभी कर्मचारियों का अवकाश यात्रा भत्ता (एलटीसी), अर्जित अवकाश के नकदीकरण और वेतन के बकाए को देने पर रोक लगा दी थी। यह रोक विश्वविद्यालय की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए लगाई गई थी। नोटिस में कहा गया था कि जैसे ही विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा यह रोक हटा ली जाएगी। अधिकारी के मुताबिक यह रोक अभी भी जारी है।

