Caste Based Survey : उत्तर भारत के राज्य बिहार में कास्ट बेस्ड सर्वे का पहला चरण चल रहा है। बिहार की तरह अब महाराष्ट्र में भी इसी तरह के सर्वे की मांग की जा रही है। महाराष्ट्र में ओबीसी समुदाय के प्रमुख नेताओं में से एक एनसीपी के छगन भुजबल ने राज्य के सीएम और डिप्टी सीएम को पत्र लिखकर ओबीसी सर्वे की मांग की है।

छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) ने अपने पत्र में कहा कि बिहार (Bihar) ने हाल ही में ओबीसी की एक स्वतंत्र जनगणना शुरू की है। तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों ने भी ओबीसी जनगणना की कवायद शुरू की है जो राज्य के विकास के लिए उपयोगी साबित हुई है। महाराष्ट्र में ओबीसी जनगणना कराने की हमारी मांग लंबे समय से पेंडिंग है। केंद्र सरकार पहले ही ओबीसी की जनगणना कराने में असमर्थता जता चुकी है। इसलिए राज्य सरकार को बिहार की तर्ज पर यह काम करना चाहिए।

पत्र में छगन भुजबल ने कहा है कि ओबीसी, विमुक्त जाति, घुमंतू जनजाति और विशेष पिछड़ा वर्ग की संख्या का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र विधानसभा में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार (Maha Vikas Aghadi) में 8 जनवरी 2020 को देशभर में ओबीसी सर्वे करवाने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया था।

भुजबल ने कहा कि 2021 जनगणना अभी होनी है और ओबीसी सर्वे (OBC Census) इसका हिस्सा होना चाहिए। भुजबल ने यह भी राज्य सरकार की मशीनरी 2021 की जनगणना के लिए कवायद करेगी और उसी समय ओबीसी जनगणना को शामिल करना संभव है।

एनसीपी के नेता (NCP Leader) ने अपने पत्र में कहा कि साल 1946 में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) ने अपनी पुस्तक ‘शुद्र कौन थे?’ में भी ओबीसी जनगणना की मांग की थी। पत्र में कहा गया कि 5 मई 2010 को लोकसभा में 100 ओबीसी सांसदों ने इसी मांग को लेकर प्रस्ताव पारित किया था। इन सासंदों में समीर भुजबल और स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे (Late Gopinath Munde) जैसे दिग्गज शामिल हैं।