उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पूरे राज्य में जातिगत भेदभाव को खत्म करने की दिशा में कदम उठाया है। अब उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों पर रोक रहेगी। वहीं, सार्वजनिक जगहों पर, पुलिस रिकॉर्ड्स और सरकारी दस्तावेजों में भी किसी की जाति का जिक्र नहीं किया जाएगा। मुख्य सचिव की तरफ से यह निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया फैसले के बाद जारी किए गए हैं।

निर्देशों के अनुसार अब पुलिस रिकॉर्ड्स, जैसे कि एफआईआर और गिरफ्तारी मेमो में किसी भी व्यक्ति की जाति नहीं बताई जाएगी। इसके अलावा, सरकारी और कानूनी दस्तावेजों में भी जाति वाले कॉलम को हटाने की तैयारी है। सरकार का तर्क है कि इस कदम के जरिए समानता को प्राथमिकता दी जाएगी।

बड़ी बात यह है कि अब जाति आधारित रैलियों और कार्यक्रमों पर रोक रहेगी। इसके अलावा, अगर कोई सोशल मीडिया पर जाति का महिमामंडन करेगा या उसके जरिए नफरत फैलाने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की बेंच ने एक शराब तस्करी मामले में सुनवाई की थी। उस मामले में याचिकाकर्ता का नाम प्रवीण छेत्री था। उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि उनकी गिरफ्तारी के दौरान एफआईआर में उनकी जाति का जिक्र किया गया था। कोर्ट ने भी इसे संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ माना और जाति का महिमामंडन राष्ट्रविरोधी तक बता दिया। इसके बाद कोर्ट ने यूपी सरकार को जरूरी बदलाव करने का निर्देश दिया था और अब मुख्य सचिव की तरफ से आदेश जारी भी कर दिए गए हैं।

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