भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) ने गुजरात में आयुष विभाग की खराब व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। हेल्थ सेक्टर पर अपनी हालिया रिपोर्ट में कैग ने आयुष विभाग की कमियों को उजागर किया है, साथ ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा आयुष के कार्यक्रमों को मुख्यधारा में न लाने की बात भी कही है। रिपोर्ट में कैग ने आयुष विभाग की ओर से रिसर्च की कमी, आवंटित राशि को खर्च न कर पाने, 2015 में मंजूर हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा न कर पाने, आयुष दवाओं की खराब क्वालिटी और फूड एंड ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से चेकिंग न होने के मुद्दे को उठाया गया।
ऑडिट में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं में योजना की कमी और मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017 के प्रावधानों के तहत काम न करने की बात भी की गई है। इसके अलावा अस्पतालों की चेकिंग में मानसिक बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए सायकिएट्रिक वॉर्ड और दवाओं के स्टॉक में भी कमी की बात की गई है। सीएजी के ऑडिट में पाया गया कि गुजरात में जिन आठ जिलों की जांच हुई, उनमें 324 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 125 में आयुष डॉक्टरों की नियुक्ति ही नहीं हुई। यानी 39 फीसदी स्वास्थ्य केंद्र बिना आयुष डॉक्टर के ही चल रहे थे। इसके अलावा इन केंद्रों पर आयुष दवाएं तक नहीं पहुंचाई जा रही थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी व्यवस्था स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के आयुष को मुख्यधारा में लाने की योजनाओं को ही तार-तार करता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि आयुष सेवा की प्रमुख कार्यक्रमों में से एक- स्कूल हेल्थ प्रोग्राम (एसएचपी), जिसके तहत आयुष विभाग को स्कूल जाने वाले बच्चों के स्वास्थ्य की जरूरतों पर ध्यान देना होता है, उसे राज्य में लागू ही नहीं किया गया। केंद्र सरकार ने राज्य की आयुष सोसाइटी के लिए दो करोड़ रुपए की ग्रांट भी जारी की थी। लेकिन फरवरी 2019 तक इसमें से सिर्फ 43 लाख रुपए ही खर्च कि जा सके, वह भी सिर्फ स्कूल की हेल्थ बुकलेट छपवाने में। यानी फंड्स मुहैया होने के बावजूद राज्य में आयुष की योजनाएं ढंग से लागू ही नहीं की गईं।
हालांकि, गुजरात सरकार ने जून 2020 में आयुष कार्यक्रमों को को लागू न कर पाने के पीछे शिक्षा विभाग के साथ सहयोग न होने की बात को वजह बताया था। साथ ही यह भी कहा गया था कि आयुष योजनाओं को लागू करने के लिए शिक्षा विभाग के सहयोग से आगे की गतिविधियों को तैयार किया जा रहा है, ताकि जरूरी नतीजे हासिल किए जा सकें।