महालेखा नियंत्रक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और अन्य योजनाओं के क्रियान्वन में काफी कमियां हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में पीएम आवास योजना के तहत जो मकान बनाए गए हैं, उनमें से कई अधूरे हैं और कई में शौचालय भी नहीं बनाए गए हैं। बता दें कि यह हालात तब हैं, जब राजस्थान को 2018 में ‘खुले में शौच से मुक्त’ करार दे दिया गया था।
कैग ने परफॉर्मेंस ऑडिट के दौरान राजस्थान में पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत हुए काम की समीक्षा की जिसमें पता चला कि राज्य के 7 जिलों बारन, बीकानेर, भारतपुर, दौसा, जोधपुर, टोंक और उदयपुर की 59 ग्राम पंचायत में बने 590 मकान, जो दस्तावेज में पूरी तरह तैयार बताए गए थे, उनमें से कई अभी भी अधूरे हैं।
बीते हफ्ते ही जनरल एंड सोशल सेक्टर , राजस्थान सरकार की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई। इसी रिपोर्ट में उक्त खुलासा किया गया था। बता दें कि केन्द्रीय ग्रामीण मंत्रालय द्वारा साल 2016 में जारी किए गए फ्रेमवर्क के अनुसार, कोई भी पूर्ण रूप से तैयार तब माना जाएगा, जब उसमें शौचालय का भी निर्माण होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, ऑडिट में 590 घरों में से 290 घरों में शौचालय नहीं मिला है, जबकि उन्हें दस्तावेजों में पूरी तरह से तैयार बताया गया है। इसके अलावा 358 घरों में इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन भी नहीं मिला है।
ऑडिट में पता चला है कि पीएम आवास योजना-ग्रामीण के लाभार्थियों के घर में एलपीजी कनेक्शन भी नहीं हैं। जिन घरों में एलपीजी कनेक्शन नहीं मिला है, उनकी संख्या 191 है। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 590 लाभार्थियों में से 391 लाभार्थी पक्के मकानों में रह रहे हैं और 183 लाभार्थी सरकार द्वारा बनवाए गए मकानों में रह भी नहीं रहे हैं।