वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है और वैश्विक स्तर पर विकास दर 2014 के 3.4 प्रतिशत से गिर कर 2015 में 3.1 प्रतिशत आ गई है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘देदिप्यमान प्रकाशस्तम्भ’ का नाम दिया है। जेटली ने लोकसभा में 2016..17 का बजट पेश करते हुए यह बताया।

वित्त मंत्री ने पिछली सरकार पर कटाक्ष करते कहा कि विरासत में मिली खराब अर्थव्यवस्था को नई सरकार ने पटरी पर लाने का काम किया है जिसे वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। इस बात को उन्होंने एक कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से पेश किया :
‘कश्ती चलाने वालों ने जब हार के दी पतवार हमें
लहर लहर तूफान मिले और मौज मौज मझधार हमें
फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको
इन हालात में आता है, दरिया पार करना हमें’

अपने बजट भाषण में उन्होंने कहा, ‘मैं यह बजट ऐसे समय में प्रस्तुत कर रहा हूं जब वैश्विक अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है। वैश्विक स्तर पर विकास 2014 के 3.4 प्रतिशत से कम होता हुआ 2015 में 3.1 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है। वित्तीय बाजारों पर आघात हुए हैं और वैश्विक व्यापार कम हो गया।

विश्व स्तर पर इन प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपना आधार मजबूत बनाए रखा है। हमारी अंतर्निहित ताकत और इस सरकार की नीतियों की मेहरबानी ने भारत को लेकर अपार विश्वास और आशा कायम है।’

जेटली ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत को मंद पड़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच देदिप्यामान प्रकाशस्तम्भ का नाम दिया है। विश्व आर्थिक मंच ने कहा है कि भारत का विकास ‘असाधारण रूप से उच्च’ रहा है।’ उन्होंने कहा कि हमने ये उपलब्धि प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद और इस तथ्य के बावजूद हासिल की हैं कि हमें विरासत में ऐसी अर्थव्यवस्था मिली थी जिसमें विकास कम, महंगाई अधिक और सरकार के शासन करने के सामर्थ्य में निवेशक का विश्वास शून्य था। हमने इन मुश्किलों और चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया है।’