उत्तर प्रदेश की राजनीति में वापसी की राह देख रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) फिलहाल बिहार चुनाव और यूपी-मध्य प्रदेश में हुए उपचुनाव के नतीजों का इंतजार कर रही है। जहां मायावती अपनी पार्टी को जिताने के लिए अलग-अलग राज्यों और गठबंधन के साथियों के साथ चुनाव प्रचार करती दिख जाती हैं, वहीं बसपा का एक चेहरा ऐसा भी है, जो पर्दे के पीछे से ही पार्टी को जीत दिलाने की कोशिश में लगा है। यह नाम है रामजी गौतम का।
राजनीतिक धड़ों में रामजी गौतम के बारे में किसी को ज्यादा नहीं हैं। हालांकि, 41 साल का यह दलित नेता बिहार विधानसभा चुनाव के साथ-साथ मध्य प्रदेश उपचुनाव में पार्टी की ओर से इंचार्ज नियुक्त किया गया था। इससे रामजी गौतम की बसपा में ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में बसपा के पास फिलहाल 15 विधानसभा सीटें ही हैं। पर इसके बावजूद रामजी को राज्यसभा सीट जीतने में कोई दिक्कत नहीं हुई। भाजपा के समर्थन से वे निर्विरोध ही चुनाव में जीत हासिल करने में सफल हुए थे।
उत्तर प्रदेश के ही लखीमपुर खीरी जिले से आने वाले गौतम ने केमिकल इंजीनियरिंग की है। साथ ही उन्होंने एमबीए करने के बाद व्यापार भी किया। वे पहली बार 2018 में तब लाइमलाइट में आए थे, जब मायावती ने उन्हें बसपा का उपाध्यक्ष बना दिया था। जून 2019 में गौतम की साख बढ़ाते हुए मायावती ने उन्हें भतीजे आकाश आनंद के साथ पार्टी का नेशनल कॉर्डिनेटर नियुक्त कर दिया था। इससे पहले वे झांसी और चित्रकूट जोन के लिए कॉर्डिनेटर की भूमिका निभा चुके थे। इसके अलावा 2015 से पहले वे जिला स्तर पर पदेन नेता रहे थे।
अब तक एक भी चुनाव न लड़ने वाले गौतम को बिहार विधानसभा जैसे अहम चुनाव की जिम्मेदारी देने के फैसले पर बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “गौतम के पास पार्टी के कामकाज की अच्छी जानकारी और पकड़ है। यह उनकी मजबूती है और इसीलिए वे पार्टी के मुख्य कूटनीतिज्ञ हैं।” दूसरी तरफ लखीमपुर खीरी के एक बसपा नेता ने बताया कि गौतम 1998 में पार्टी जॉइन करने के बाद से ही उभरते नेता बन गए। वह छात्र वर्ग में काफी एक्टिव थे और अधिकतर पिछड़े समुदाय के मुद्दे उठाया करते थे।
विवादों से भी जुड़ा रहा है दामन: 2019 में गौतम पर बसपा के टिकट बेचने का आरोप लगा था। हालांकि, तब मायावती ने इसे कांग्रेस की साजिश करार देते हुए कहा था कि वे गौतम को राजस्थान से निकालना चाहते हैं। बसपा नेता उस वक्त राजस्थान के ही इंचार्ज बनाए गए थे। इसी साल जब बसपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए उनकी उम्मीदवारी घोषित की थी, तब मायावती ने कहा था कि यह गौतम की कड़ी मेहनत और ईमानदारी का इनाम है।