मध्य प्रदेश में कांग्रेस की नई नवेली सरकार को उसकी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम में संशोधन के खिलाफ 2 अप्रैल 2018 को हुए ‘भारत बंद’ के दौरान दर्ज किए गए मुकदमे खारिज करने की मांग की है। इसके साथ ही मायावती ने ऐसा न करने पर कांग्रेस को राजस्थान और मध्य प्रदेश में दिए गए समर्थन पर पुनर्विचार करने की बात कही है।

किसानों-बेरोजगारों के लिए कांग्रेस को नसीहतः बसपा ने आरोप लगाया है कि भाजपा के राज में राजनीतिक और जातिगत बदले की भावना से निर्दोष लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे। इसके साथ ही बसपा ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकारों को किसानों और बेरोजगारों के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के बदले हुए समीकरणों के बीच सपा और बसपा की स्थिति बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। सीट शेयरिंग पर सहमति न बनने से चुनाव से पहले कांग्रेस ने बसपा के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया था।

2019 में खींचतान के आसार दिखेः बसपा ने विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीनों राज्यों में चुनाव लड़ा था। तीनों राज्यों में उसे क्रमशः दो, दो और छह सीटों पर जीत मिली थी। मध्य प्रदेश में बहुमत से दो कदम दूर रह गई कांग्रेस के लिए सहयोगियों का समर्थन संजीवनी बनकर सामने आया और 15 साल बाद फिर से कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की है। ऐसे में बसपा के तेवरों से लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन के नाम पर होने वाली खींचतान के आसार अभी से नजर आ रहे हैं।