बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने गुरुवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार के साम, दाम, दंड, भेद आदि अनेक हथकंडों के अलावा उनकी असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक नीति व व्यवहार के कारण देश में हर तरफ भय, आतंक, हिंसा, बेचैनी और अफरातफरी जैसा माहौल है। बसपा कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, बैठक में मायावती ने कहा कि भाजपा और मोदी सरकार के साम, दाम, दंड, भेद आदि हथकंडों और असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक नीति व व्यवहार के कारण देश में हर तरफ भय, आतंक, बेचैनी और अफरातफरी जैसा माहौल है।

मायावती ने कहा कि सर्वसमाज में खासकर- गरीबों, मजदूरों, किसानों, युवाओं, बुद्धजीवी और व्यापारी वर्ग के साथ-साथ दलितों, पिछड़ों, मुसलिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति हर प्रकार की सरकारी उपेक्षा, भेदभाव और नाइंसाफी को आज पूरा देश महसूस कर रहा है। इसके तहत देश में कल्याणकारी कानून व मानवतावादी संविधान को एक प्रकार से विफल करने की साजिश की जा रही है। इन वर्गों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया लगातार निरंकुश व दमनकारी होता जा रहा है, जिससे पूरा देश चिंतित है। लेकिन इसे महसूस कर आवश्यक सुधार करने के बजाय भाजपा सरकार का अहंकार देश को लगातार त्रासदी की ओर धकेल रहा है। मायावती ने कहा कि बसपा एक राजनीतिक पार्टी होने के साथ ही जनआंदोलन भी है। यह बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की विचारधारा पर बनी देश की एकमात्र सशक्त राजनीतिक पार्टी है। इसने अपने राजनीतिक सफर में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं।

बयान में कहा गया है कि वास्तविकता यह है कि बसपा ने बाबा साहब और कांशीराम की इच्छानुरूप एक न बिकने वाले शक्तिशाली समाज का गठन किया है। यही कारण है कि बसपा ने उत्तर प्रदेश में चार बार शासन संभाला और अपना उद्धार स्वयं करने के बाबा साहब की विचारधारा पर चलते हुए उसे हकीकत बनाने का प्रयास किया।इसे हकीकत में बदलता देख जातिवादी ताकतों के सीने पर सांप लोटता रहता है और वह इस बसपा आंदोलन को पीछे धकेलने के लिए लगातार हरसंभव साजिश में जुटे रहते हैं। बयान के अनुसार, मायावती ने आरोप लगाया कि भाजपा सत्ता में आने के बाद संसद के प्रति भी जवाबदेह होना पसंद नहीं कर रही है। आरएसएस के ‘गुप्त एजंडा’ व जन-विरोधी नीतियों और कार्यों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए वह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रहे हैं और बसपा सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को भ्रष्ट साबित करने के लिए साजिश कर रहे हैं। मायावती ने कहा कि भाजपा की सरकार द्वारा शहरों, स्टेशनों, सड़कों आदि का नाम बदला जाना भी उसकी इसी संकीर्ण, जातिवादी, सांप्रदायिक व फासीवादी सोच का परिणाम है। भाजपा सरकार को नाम बदलने की गलत परंपरा से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमेशा की तरह वास्तविकता यही है कि भाजपा और आरएसएस के संकीर्ण जातिवादी और सांप्रदायिक जहर को केवल बसपा की आंबेडकरवादी विचारधारा व जनसंघर्ष ही काट सकती है।