Book Fair in Uttarakhand: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर शहर में एक बुक फेयर को रद्द करने का मुद्दा सभी जगह पर छाया हुआ है। इस विषय पर चर्चा इस वजह से हो रही है क्योंकि मेले के आयोजकों ने तीन-तीन जगह जाकर इसके लिए इजाजत मांगी लेकिन उन्हें एक के बाद एक हर जगह से खाली हाथ लौटना पड़ा। आयोजकों ने आरोप लगाया है कि दक्षिणपंथी समूहों ने इसे रद्द करने के लिए दबाव बनाया है।
टॉइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिएटिव उत्तराखंड एक ग्रुप है जो हर साल ‘किताब कौथिक’ नाम से एक पुस्तक मेला आयोजित करता रहा है। मेले के ऑर्गेनाइजर हेमपंत ने कहा, ‘पहले जनवरी में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित किया जाना था। हमें स्कूल से इजाजत मिल गई थी, लेकिन बाद में मैनेजमेंट ने बिना कोई कारण बताए इसे रद्द कर दिया। चुनाव नजदीक आ रहे थे, इसलिए हमने कार्यक्रम को फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया।’
इसके बाद आयोजकों ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी से अपने परिसर में कार्यक्रम आयोजित करने की इजाजत मांगी और शुरू में दावा किया कि उन्हें अनुमति मिल गई है, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया। पंत ने आरोप लगाया, ‘छात्र संघ और एबीवीपी के प्रतिनिधियों ने हमें बताया कि गांधी और नेहरू पर किताबें बेचने लायक नहीं हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी को अनुमति रद्द करने के लिए मना लिया।’
किताबों के मेले में सऊदी अरब का सांस्कृतिक अदब
पंत ने दावा करते हुए कहा, ‘समूहों ने हमसे कहा कि अगर हमने कार्यक्रम आयोजित किया तो वे किताबें जला देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि हमारे पास कम्युनिस्ट साहित्य है। यह एक पुस्तक मेला है जिसमें अलग-अलग विषयों पर 70,000 से ज्यादा किताबें हैं। हमने सामाजिक मुद्दों पर बोलने वाले लोक कलाकार नरेंद्र सिंह नेगी को भी लाने की योजना बनाई थी। यह भी उन्हें पसंद नहीं आया।’
किसी दबाव की वजह से अनुमति रद्द नहीं की
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता आशुतोष ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है कि किसी के दबाव की वजह से इजाजत रद्द कर दी गई थी। उन्होंने कहा, ‘हमारे छात्र संगठन ने सुझाव दिया कि पुस्तक मेले के आयोजन से चल रही परीक्षाओं में बाधा आ सकती है और छात्रों का ध्यान भटक सकता है, यही वजह है कि आयोजकों को दूसरी जगह तलाशने के लिए कहा गया।’
एबीवीपी ने क्या कहा?
एबीवीपी के छात्र संघ प्रतिनिधि आशीष पंत ने दावा किया कि कार्यक्रम को रद्द करने के पीछे कोई वैचारिक कारण नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘शुरू में, उन्हें यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी के पास एक छोटे से सेटअप के लिए मंजूरी दी गई थी, लेकिन बाद में हमें पता चला कि उन्होंने कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना बनाई थी। यह सब परीक्षाओं के बीच में हो रहा था। यह खुद छात्र थे जिन्होंने चिंता जताई, जिसके कारण यूनिवर्सिटी ने हमारी सिफारिश के आधार पर अनुमति रद्द कर दी।’ उन्होंने उन दावों को भी खारिज कर दिया कि एबीवीपी ने बेची जाने वाली किसी भी किताब पर आपत्ति जताई थी।