बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले महीने किसी कानून की अपनी तरह की पहली समीक्षा शुरू की। विचाराधीन कानून, महाराष्ट्र स्लम क्षेत्र (सुधार, निकासी और पुनर्विकास) अधिनियम, 1971, स्लम क्षेत्रों की पहचान और पुनर्विकास से संबंधित है। इसने मुंबई के वर्टिकल आर्किटेक्चरल लैंडस्केप को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आमतौर पर न्यायपालिका यह निर्धारित करने के लिए क़ानूनों का परीक्षण करती है कि क्या वे संवैधानिक रूप से वैध हैं, लेकिन वर्तमान समीक्षा में इसके उद्देश्य कानून में कमियों की पहचान करना है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे पिछले साल जुलाई में अनिवार्य किया था, जब जस्टिस पीएस नरसिम्हा और अरविंद कुमार की पीठ 18 साल से लंबित झुग्गी पुनर्विकास परियोजना से जुड़ी एक अपील पर सुनवाई कर रही थी।

सालों से स्लम पुनर्विकास परियोजनाओं में शामिल डेवलपर्स द्वारा देरी के मामलों के कारण अदालतों ने 1971 अधिनियम के प्रभाव पर सवाल उठाए हैं। अदालतों ने माना है कि इस तरह की देरी झुग्गीवासियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जिसमें आश्रय और आजीविका के अधिकार भी शामिल हैं।

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महाराष्ट्र में स्लम पुनर्विकास पर 1971 का कानून क्या है?

मुंबई में रियल एस्टेट की कीमतें देश में सबसे ज्यादा हैं। यहां स्लम पुनर्विकास अक्सर उतना ही लाभ के बारे में होता है जितना कि शहरी गरीबों को आवास देने या शहर की स्थितियों में सुधार के बारे में होता है। डेवलपर्स को पुनर्विकास कानूनों और योजनाओं के तहत प्रोत्साहन से लाभ होता है। उदाहरण के लिए 1971 का कानून महाराष्ट्र सरकार को किसी क्षेत्र को स्लम एरिया घोषित करने और जरूरत पड़ने पर उसका अधिग्रहण करने का अधिकार देता है। पुनर्वास की देखरेख के लिए एक वैधानिक निकाय स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (SRA) बनाया गया है, जो किसी भी एजेंसी या डेवलपर को क्षेत्र के पुनर्विकास का काम सौंप सकता है। यह कानून झुग्गीवासियों के ट्रांसफर और पुनर्वास का भी प्रावधान करता है।

1995 में सरकार ने महाराष्ट्र स्लम पुनर्वास अधिनियम पेश किया। इसके तहत, निजी डेवलपर्स (झुग्गीवासियों के साथ समझौते में) पुनर्विकास को फाइनेंस करते हैं और तैयार मकान निशुल्क उपलब्ध कराते हैं। बदले में उन्हें निर्माण और खुले बाज़ार में बेचने के लिए कुछ अतिरिक्त क्षेत्र प्राप्त होता है।

डेवलपर्स हाई फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) के भी हकदार हो सकते हैं, जिससे उन्हें जमीन के एक टुकड़े पर आमतौर पर स्वीकृत संख्या से अधिक बिक्री योग्य फ्लैट बनाने की अनुमति मिलती है। ऐसी योजनाओं के तहत शहर में प्रमुख भूमि भी खुले बाजार दरों की तुलना में कम कीमत पर उपलब्ध हो जाती है।

इसमें क्या मुद्दे हैं?

जिस मामले ने 1971 के कानून की समीक्षा शुरू की, उसमें बोरीवली में 2003 की झुग्गी पुनर्विकास परियोजना शामिल है, जो यश डेवलपर्स को आवंटित की गई थी। लगभग दो दशकों की देरी के कारण एसआरए की निगरानी करने वाली सर्वोच्च शिकायत निवारण समिति (AGRC) ने 2021 में अनुबंध समाप्त कर दिया। एक नए बिल्डर की नियुक्ति के कारण यश डेवलपर्स ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका डाला।

2022 में बॉम्बे HC के जज गिरीश एस कुलकर्णी ने AGRC के फैसले को बरकरार रखा और यह भी नोट किया कि 199 झुग्गीवासियों को किराए का भुगतान किए बिना वर्षों तक इंतजार कराया गया था। कोर्ट ने कहा कि यह स्लम योजना की भावना और लोकाचार के पूरी तरह से विपरीत है। इसके बाद डेवलपर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने एजीआरसी के फैसले को बरकरार रखते हुए न्यायिक समीक्षा की अक्षमता को भी रेखांकित किया।

राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के आंकड़ों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1971 अधिनियम के तहत विवादों से जुड़े 1,612 मामले वर्तमान में बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। इनमें से 135 मामले 10 साल से ज्यादा पुराने हैं।