बंबई हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि जगह की कमी से जूझ रही मुंबई में सड़कें अब लावारिस वाहनों के लिए ‘कब्रिस्तान’ नहीं बन सकतीं। दरअसल कोर्ट की टिप्पणी मुंबई में सड़कों पर खड़े सीज वाहनों को लेकर आई है। हाई कोर्ट ने सभी थानों को स्पष्ट आदेश दिया कि वे ऐसे वाहनों के निपटान के लिए यातायात पुलिस के निर्देशों का सख्ती से पालन करें।

‘मुंबई की सड़कों पर अतिक्रमण नहीं किया जा सकता’

जस्टिस जी एस कुलकर्णी और जस्टिस अद्वैत सेठना की पीठ ने कहा कि ऐसे वाहनों को केवल डंपिंग यार्ड में डाल देना पर्याप्त नहीं होगा और इनके निपटान के लिए निरंतर कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने यह आदेश 8 मई को जारी किया था। पीठ ने कहा, “मुंबई जैसे शहर में, जहां सार्वजनिक सड़कों और फुटपाथों पर जगह की भारी कमी है और जगह सीमित है, ऐसे सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों को रखकर अतिक्रमण नहीं किया जा सकता।”

अदालत ‘मैराथन मैक्सिमा को-ऑप हाउसिंग सोसाइटी’ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने हाउसिंग सोसाइटी के गेट के बाहर पास के थाने द्वारा जब्त किए गए वाहनों को रखे जाने से बाधा उत्पन्न होने के बारे में चिंता थी। यातायात विभाग के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर ने एक हलफनामे में कहा कि पिछले महीने शहर भर के सभी थानों को एक पत्र जारी किया गया था। इसमें सलाह दी गई थी कि जब्त किए गए या लावारिस हालत में छोड़ दिए गए सभी वाहनों को ‘डंपिंग यार्ड’ में ले जाया जाए।

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जानें कोर्ट ने राज्य सरकार से क्या कहा

पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह ऐसे वाहनों को रखने के लिए हरेक नगर निगम वार्ड में सुविधाजनक स्थानों की पहचान करे। अदालत ने कहा, “केवल वाहनों को डंपिंग स्थल पर डाल देना पर्याप्त नहीं होगा। यदि इन वाहनों की आवश्यकता नहीं रह जाती है, तो इन वाहनों के निपटान के लिए निरंतर कार्रवाई की आवश्यकता है, जिसके लिए उचित सलाह जारी करने की आवश्यकता है।”

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख दो जुलाई निर्धारित की। इसके अलावा यातायात विभाग से कहा कि याचिका में जो मुद्दे उठाये गये हैं, उनके समाधान के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में वह अदालत को बताए।