बंबई उच्च न्यायालय सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को बरी किए जाने के अदालती फैसले को चुनौती देने वाली उसके भाई रुबाबुद्दीन शेख और सीबीआई की पुनरीक्षण याचिकाओं पर सुनवाई इस साल जून माह में शुरू करेगा। रुबाबुद्दीन शेख की ओर से दायर तीन याचिकाओं और सीबीआई की दो याचिकाओं पर सुनवाई आंशिक रूप से हुई थी। तभी इस साल फरवरी में बंबई उच्च न्यायाल में कुछ न्यायाधीशों को आबंटित काम – काज अचानक बदल दिए गए। बहरहाल , न्यायमूर्ति नितिन सांबरे की एकल पीठ ने आज इन याचिकाओं को उठाया और कहा कि इन पुनरीक्षण याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने की समयतालिका इस साल 20 जून को तय की जाएगी।

न्यायमूर्ति सांबरे ने इस मामले में आरोपों से बरी किए गए पूर्व आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन की मामले में तत्काल सुनवाई करने की अपील को खारिज कर दिया। पांडियन ने अगले महीने प्रशिक्षण के लिए कनाडा जाने की इजाजत मांगी थी। फरवरी में काम – काज में परिवर्तन के वक्त न्यायमूर्ति रेवती मोहिते – डेरे पुनरीक्षण याचिकाओं पर रोजाना आधार पर सुनवाई कर रही थीं। पीठ ने पांच में से तीन याचिकाओं पर अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी।

काम – काज में इस परिवर्तन से अटकलों का बाजार गर्म हुआ था , लेकिन बंबई उच्च न्यायाल के रजिस्ट्रार ने इसे एक ‘‘ नियमित ’’ कवायद बताया था।
रुबाबुद्दीन शेख ने पुनरीक्षण याचिकाएं दायर कर आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा , दिनेश एमएन और राजकुमार पांडियन को बरी करने के फैसले को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते – डेरे उन पुनरीक्षण याचिकाओं पर रोजाना आधार पर सुनवाई कर रही थीं।

वह गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी एनके अमीन और राजस्थान के पुलिस कांस्टेबल दलपत सिंह राठौर को बरी करने के फैसले के खिलाफ दायर बीआई की दो पुनरीक्षण याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही थीं। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते – डेरे पांच पुनरीक्षण याचिकाओं में से चार पर सभी पक्षों की दलीलों के एक बड़े हिस्से की सुनवाई कर चुकी थीं। तभी 24 फरवरी को उनके समेत न्यायाधीशों को आबंटित काम – काज बदल दिए गए।

वंजारा , अमीन , पांडियन और दिनेश का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी अगले ही दिन अपनी दलील पूरी करने वाले थे और अदालत उसके बाद वंजारा को बरी करने के अदालती फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलों की सुनवाई करने वाली थी।