मध्य प्रदेश में नोटबंदी के दो साल बाद एक ऐसा मामला सामने आया जिसने जांच टीम के भी होश उड़ा दिए। मामला राज्य की व्यावसायिक राजधानी इंदौर का है। यहां के एक कारोबारी चित्रेश मेहता पर आरोप लगा है कि उन्होंने नोटबंदी के दौरान अपने काले धन को सफेद करने के लिए गरीब परिवारों के बैंक खातों का सहारा लिया। इसी दौरान कथित तौर पर चित्रेश ने एक शख्स के खाते में ढाई करोड़ रुपए जमा कराए थे। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं।

स्कूल फीस के पैसे नहीं, खाते में ढाई करोड़

रिपोर्ट्स के मुताबिक आयकर विभाग की जांच में पता चला कि जिस शख्स के खाते में यह बड़ी रकम जमा कराई गई थी उसकी बेटी को स्कूल से सिर्फ इसलिए निकाला गया था क्योंकि वह उसकी फीस जमा नहीं करा पाया था। जांच अधिकारियों को आशंका है कि अलग-अलग बैंक खातों के जरिए मेहता ने करीब 70 करोड़ रुपए की आय छुपाई है। हालांकि इस संबंध में अभी कोई अंतिम आधिकारिक टिप्पणी सामने नहीं आई है।

ना खरीद, ना बिक्री और बन गए फर्जी बिल
प्राप्त जानकारी के मुताबिक अब तक की जांच में करीब साढ़े नौ करोड़ रुपए के दस्तावेज जब्त किए जा चुके हैं। वहीं एक दर्जन से ज्यादा ऐसे खातों की पहचान हो चुकी है जिनमें गलत तरीके से पैसे जमा कराए गए हैं। जब्त दस्तावेजों में बिना खरीद-बिक्री के बने फर्जी बिल भी शामिल हैं। फिलहाल आरोपी कारोबारी से जांच टीम पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है कि ये बिल दूसरे लोगों के लिए बनाए गए थे जिन पर मेहता को कमीशन मिला था, ऐसे में कई और लोगों के नाम अभी सामने आ सकते हैं।