इटावा सफारी पार्क में एक काले नर हिरण की मौत हो गई है। पार्क में किसी भी हिरण की यह पहली मौत है लेकिन जानवरों के लिहाज से देखा जाए तो यह एक दर्जनवी मौत मानी जा रही है। पार्क के निदेशक पीपी सिंह ने काले हिरणे की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि मौत का शिकार हुआ काला हिरण टीबी की बीमारी से पीड़ित था। गुरुवार की शाम पांच बजे के आसपास इस नर हिरण ने दम तोड़ दिया। इसे एक वर्ष पहले लखनऊ जू से इटावा सफारी पार्क मेंं लाया गया था। तभी से यह टीबी से ग्रसित था। इसका इलाज भी किया गया लेकिन गुरुवार की शाम इस चार वर्षीय हिरन की मौत हो गई। इस हिरन को जब इटावा लाया गया तभी से बीमार था। उन्होंने बताया कि हिरणों मेंं टीबी की बीमारी आमतौर पर हो जाती है। पार्क मेंं पिछले साल 24 दिसंबर को शंकर भालू की मौत हो गई थी। वह भी टीबी से पीड़ित था। ऐसी उम्मीदें लगाई गई थी कि वर्ष 2018 अच्छा गुजरेगा लेकिन इस वर्ष की शुरुआत मेंं ही एक काले हिरण की मौत हो गई।

उन्होंने बताया कि पार्क की हिरण सफारी मेंं फिलहाल काले हिरणों की संख्या 22 है, जिनमेंं नर व मादा दोनों शामिल है। इनमेंं से एक की मौत हो जाने के बाद अब हिरणों की संख्या घट कर 21 रह गई है। दो दर्जन से अधिक एंटीलोप भी सफारी पार्क मेंं हैं। बताया गया है कि इस हिरण को एक वर्ष पहले लखनऊ जू से लाया गया था। उसकी टीबी की बीमारी का इलाज कराया गया। इसमेंं आइबीआरआइ बरेली के डाक्टरों का भी सहयोग लिया गया था लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। पिछले 25 दिसंबर को आइबीआरआइ बरेली के डाक्टरों की टीम सफारी पार्क मेंं आई थी तब इस हिरण को भी देखा था। उस समय भी डाक्टरों की टीम ने यह महसूस किया था कि इस हिरण का जीवन अब ज्यादा दिनों का नहीं रह गया।
सफारी मेंं एक मादा काले हिरण को भी टीबी है, जिसका इलाज चल रहा है और फिलहाल उसे इलाज से लाभ भी है। पार्क मेंं शेरों का कुनबा बढ़ाने मेंं भले ही परेशानी हो रही हो लेकिन काले हिरणों व एंटीलोप का कुनबा खूब बढ़ रहा है और यह अच्छी खासी संख्या मेंं हो गए हैं। हिरण सफारी मेंं पिछले वर्ष विभिन्न स्थानों से नर व मादा 13 काले हिरण लाए गए थे।

जुलाई से लेकर दिसंबर तक छह माह के समय मेंं इन हिरणों ने सात बच्चों को जन्म दिया है। जबकि इससे पहले दो बच्चे जन्म ले चुके थे। इसके चलते 13 की संख्या बढ़कर 22 तक पहुंच गई थी। इसी तरह एंटीलोप का कुनबा भी बढ़ा है। पार्क मेंं शेर, भालू व हिरण को सर्दी से बचाने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। कड़ाके की सर्दी मेंं भी यह वन्य जीव महफूज हैं। पुआल भी बिछाया गया है और बड़े-बड़े हीटर भी बाड़ों मेंं लगाए गए हैं, ताकि कोई भी वन्य जीव सर्दी से पीड़ित न हो सके। पार्क के निदेशक पीपी सिंह ने बताया है कि सफारी मेंं वन्य जीवों को सर्दी से बचाने के सभी इंतजाम सर्दी शुरू होते ही कर दिए गए थे। जिस काले हिरण की मौत हुई है। वह बीमारी से हुई है।