सबरीमला मुद्दे को लेकर सोमवार को भाजपा का सचिवालय मार्च हिंसक हो उठा, जिसके बाद पुलिस को प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार करनी पड़ी और आंसू गैस के गोले इस्तेमाल करने पड़े। वहीं, कांग्रेस यूडीएफ ने भी इस मुद्दे को लेकर राज्य विधानसभा तक मार्च निकाला। जबकि भाजपा और यूडीएफ ने अलग-अलग मार्च निकाला। उन्होंने सबरीमला के आसपास निषेधाज्ञा वापस लेने के लिए अपने-अपने नेताओं के आंदोलन को खत्म कराने के लिए एलडीएफ सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य सचिवालय के बाहर पुलिसर्किमयों पर उस समय पथराव किया और कुर्सियां फेंकी, जब पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।
भाजपा ने सबरीमला मुद्दे पर अपना प्रदर्शन तेज करने के तहत मार्च की घोषणा की थी। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा महासचिव ए. एन. राधाकृष्णन के अनिश्चितकालीन अनशन को समाप्त कराने के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की। वह आठ दिनों से अनशन पर हैं। बता दें कि राधाकृष्णन निषेधाज्ञा हटाने और सबरीमला मुद्दे के संबंध में पार्टी महासचिव के. सुरेंद्रन के खिलाफ दर्ज विभिन्न मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए तीन दिसम्बर से सचिवालय भवन के सामने अनिश्वतकालीन अनशन पर बैठे हुए हैं। वहीं कोट्टायम, कोच्चि और कोझीकोड में भी मार्च निकालने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने रोक दिया।
केंद्रीय मंत्री अल्फोंस कन्नथनम राज्य की राजधानी तिरूवनंतपुरम में राधाकृष्णन से मिलने पहुंचे। उन्होंने बाद में संवाददाताओं को सम्बोधित करते समय जोर देते हुए कहा कि राज्य सरकार को सबरीमला में लगाई गई निषेधाज्ञा वापस लेना चाहिए। साथ ही उन्होंने सरकार को प्रदर्शनों को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज झूठे मामलों को वापस लेने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि माकपा नीत एलडीएफ सरकार को लोगों की भावनाएं समझनी चाहिए और राधाकृष्णन का अनशन समाप्त कराने के लिए पहल करनी चाहिए। वहीं कन्नथनम सवाल करते हुए कहा कि सबरीमला में धारा 144 क्यों होनी चाहिए? कहा जा रहा है कि श्रद्धालु ‘नाम जपम’ (अयप्पा के मंत्रों का जाप) कर रहे हैं। क्या यह आपराधिक कृत्य है?
उन्होंने सरकार द्वारा निषेधाज्ञा और पाबंदियों के खिलाफ प्रदर्शनों पर रोक को अलोकतांत्रिक ठहराया। हालाँकि विपक्षी यूडीएफ ने भी मार्च निकाला और मांग की कि सरकार को उसके तीन विधायकों वी एस शिवकुमार, पी अब्दुल्ला और एम जयराज के पिछले आठ दिन से जारी अनिश्चितकालीन सत्याग्रह को खत्म कराने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला और पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।