पश्चिम बंगाल में अब विधानसभा चुनाव में कुछ महीनों का ही समय रह गया है। इसके लिए भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों ने ही कमर कस ली है। जहां टीएमसी लगातार बंगाली अस्मिता का मुद्दा उठाती रही है, वहीं भाजपा ‘जय श्रीराम’ के नारे के साथ उसके वोट बैंक पर सेंध लगाने की तैयारी में है। आलम यह है कि सीएम ममता बनर्जी भी सार्वजनिक स्थलों पर इस नारे से नाराजगी जता चुकी हैं। हाल ही में जब एक कार्यक्रम में भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने नारे की तुलना आजादी से पहले के नारे- अंग्रेजों भारत छोड़ो से कर दी।
‘सोच भी नहीं सकता था बंगाल में कोई बोलेगा जय श्रीराम’: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एंकर राहुल कंवल ने विजयवर्गीय से पूछा- “क्या भाजपा इस चुनाव में राम भरोसे है। जिस तरह जय श्रीराम के नारे पर विवाद खड़ा हुआ। आप लोगों ने जोर-शोर से नारा दिया। आपका आरोप है कि ममता बनर्जी नारे से भाग रही हैं, डर रही हैं। हालांकि, उनका कहना है कि ऐसा नहीं है, हम तो जय सिया राम कहते हैं। इलेक्शन जीतने के लिए भगवान का नाम क्यों लेना पड़ रहा है?”
इस पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा- आपके और हमारे लेने से कोई नारा नहीं बनता है। कोई भी नारा एक संदेश देता है। बंगाल में कोई जय श्रीराम बोलेगा, मैं तो सोच भी नहीं सकता। लेकिन बंगाल में जय श्रीराम ऐसा नारा है, जैसा वंदे मातरम् था, अंग्रेजों भारत छोड़ो था। वैसे बंगाल के अंदर हो गया जय श्रीराम ममता जी बंगाल छोड़ो। ये नारा जनता के बीच हो गया। ये नारा सामान्य नारा नहीं है। इस नारे को बंगाल के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। इस नारे ने जनता के बीच में से आवाज लाकर परिवर्तन कर के दिखाया।
‘जय श्रीराम और जय सियाराम में कोई फर्क नहीं’: एंकर राहुल कंवल ने इसके बाद पूछा- ममता बनर्जी कहती हैं कि हमारे यहां नारा है जय सियाराम, हम लोग दुर्गा मां की पूजा करते हैं। हम जय हिंद कहते हैं। हम लोग वंदे मातरम् कहते हैं। बंगाल में जय श्रीराम का कोई इतिहास, संस्कृति नहीं रही। इसीलिए वे भाजपा को बाहरी पार्टी कहती हैं। इस पर विजयवर्गीय ने कहा- अल्पज्ञान ऐसा ही होता है। जय सियाराम। श्री सिया का ही पर्यायवाची है। सिया सीता का ही पर्यायवाची है। जय सियाराम और जय श्रीराम में कोई अंतर थोड़ी ही है।

