BJP Setback in Gujarat Devgadh Baria: बिहार चुनाव की सरगर्मी के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को गुजरात में बड़ा झटका लगा है। देवगढ़ बारिया नगर निगम में पार्टी के आठ नेताओं ने बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ हाथ मिला लिया और बहुमत साबित कर दिया। यह घटनाक्रम तब हुआ जब तीन हफ्ते पहले ही नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ ‘नो-कॉन्फिडेंस मोशन’ (अविश्वास प्रस्ताव) लाया गया था।

नील सोनी बने विजेता, धर्मेश कलाल को झटका

सोमवार को बीजेपी के आठ बागी पार्षदों ने निर्दलीय उम्मीदवारों और तीन कांग्रेस सदस्यों के साथ मिलकर बीजेपी के ही नील सोनी के पक्ष में मतदान किया। इस वोटिंग में धर्मेश कलाल को हार का सामना करना पड़ा।

अविश्वास प्रस्ताव के बाद हुए इस मतदान में धर्मेश कलाल को 8 वोट मिले, जबकि नील सोनी को 16 वोट हासिल हुए। नील सोनी को बागी नेताओं के साथ-साथ निर्दलीय और कांग्रेस सदस्यों का भी समर्थन मिला।

देवगढ़ बारिया के डिप्टी कलेक्टर हितेश भगोरा ने बताया कि “अध्यक्ष पद के लिए दो प्रत्याशी थे — नील सोनी और धर्मेश कलाल। चुनाव पूरी तरह पारदर्शी तरीके से संपन्न हुआ। नील सोनी को 16 वोट मिले, जबकि कलाल को 8 वोट मिले।”

बीजेपी के लिए झटका

हालांकि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी बताई जा रही है, लेकिन राजनीतिक ड्रामा भी देखने को मिला। दरअसल, 17 अक्टूबर को जब धर्मेश कलाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, तब 24 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था, जिनमें बीजेपी के कई नेता शामिल थे। उस वक्त भी पार्टी में असंतोष देखा गया था, और एक बीजेपी नेता ने वोटिंग से खुद को अलग रखा था। यह बीजेपी के लिए इसलिए भी बड़ा झटका है क्योंकि फरवरी 2024 में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी ने 13 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था।

जब धर्मेश कलाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, तो उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन अदालत से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। अब बताया जा रहा है कि बीजेपी ने नील सोनी, गोपाल सिंह जाला, निधि जैन, सरला मेड़ा, अरुण परमार और प्रग्नेश मोहानिया को सस्पेंड कर दिया है।

कई निर्दलीयों और कांग्रेस पार्षदों का समर्थन

नील सोनी को निधि जैन, मुमताज शुक्ला, अयूब शुक्ला, मदीना चंदा, मुमताज भिखावाला, मदीना पटेल, अयूब पटेल, मोहम्मद तसलीम, अमरीन परवेज, गौरांग कुमार पंड्या और सानोफर मकरानी का भी समर्थन मिला। इस गठजोड़ ने बीजेपी की स्थानीय इकाई को पूरी तरह हैरान कर दिया।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नील सोनी ने कहा, “हमें विवश किया गया था अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए। धर्मेश कलाल निष्क्रिय हो गए थे, जनता से जो वादे किए गए, वो पूरी नहीं किए जा रहे थे। उदाहरण के लिए, देवगढ़ बारिया के ऐतिहासिक टावर पर लगी घड़ी की मरम्मत तक नहीं कराई गई। हमने सिर्फ विकास के लिए कदम उठाया है। हम बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, पार्टी चाहे तो हमें निलंबित कर दे या वापस स्वीकार कर ले, हम पार्टी की विचारधारा के अनुसार ही काम करते रहेंगे।”

इस पूरे घटनाक्रम के बाद बीजेपी नेतृत्व ने चुप्पी साध ली है और पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।