Morbi Bridge Collapse: गुजरात में रविवार रात हुई मोरबी केबल पुल की दुखद घटना की वजह और दोषियों को लेकर कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगातार लगाए जा रहे हैं। विपक्ष दलों ने सरकार की लापरवाही पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। घटना पर भाजपा की गोवा इकाई के प्रवक्ता सैवियो रोड्रिग्स (Savio Rodrigues) ने राज्य की अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। कहा है कि यह भ्रष्टाचार की जड़ की वजह से हैं।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “मोरबी ब्रिज की दुखद घटना भयानक है। इसमें कई तरह गलतियां दिखती हैं। यदि हम जिम्मेदारी नहीं लेते हैं तो इसका मतलब है कि हम अपने लोगों का ध्यान नहीं रख रहे हैं। भ्रष्टाचार की जड़ इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण दुखद हादसे की वजह बनती है। 49 बच्चे अपनी जान गंवा दिये। 134 लोगों की मौत होने की सूचना है।”

इस भयानक हादसे का मुआयना करने और पीड़ितों से मिलने मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी भी मोरबी पहुंचे। पीएम मोदी के दौरे से पहले मंगलवार की सुबह गुजरात सरकार के अधिकारी पुल बनाने वाली कंपनी के दफ्तर पहुंचे और मामले में पूछताछ कर रहे हैं। मामले में आरोपी कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 308 और 114 के तहत केस दर्ज किया गया है। अफसरों ने कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है। नदी में बचाव कार्य अब भी जारी है।

मच्छू नदी पर बने डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुराने इस केबल ब्रिज की कुछ ही समय पहले मरम्मत हुई थी। इसके बाद रविवार को ही यह आम जनता के लिए खोला गया था। जिस समय यह हादसा हुआ उस पर 500 से ज्यादा लोग थे, जबकि उसकी क्षमता 100 लोगों की ही थी। इतने ज्यादा लोगों को एक साथ पुल पर जाने की अनुमति देने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

इस बीच उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह गुजरात के मोरबी में पुल गिरने की घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित करने संबंधी जनहित याचिका पर 14 नवंबर को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष वकील विशाल त्रिवेदी ने कहा कि उनकी जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए। इस पर पीठ ने कहा, “आप क्या चाहते हैं।” वकील ने कहा, “मैं उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में एक आयोग से न्यायिक जांच कराने की अपील कर रहा हूं।”