सांसद किरण खेर ने आम आदमी पार्टी के पार्षदों को डंगर (जानवर) बताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह का जंगलीपना कभी नहीं देखा है। सांसद ने कहा कि पिछले कार्यकाल में विपक्ष में कांग्रेस थी, लेकिन कांग्रेस पार्षदों का व्यवहार आप पार्षदों की तरह नहीं था। कांग्रेस पार्षद कटाक्ष करते थे लेकिन बदतमीजी नहीं करते थे।

खेर मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने पर चंडीगढ़ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। उनसे जब पूछा गया कि आम आदमी पार्टी के पार्षदों को कहना है कि उनको काम नहीं करने दिया जाता तो सदन की बात करने लगीं।

किरण खेर ने कहा कि नगर निगम चुनाव के बाद जब पार्षद पहली बार मीटिंग में आए थे, तो वह खूब हंगामा कर रहे थे। उन्होंने टेबल तोड़ दी और कांच फोड़ डाले। उन्हें कम से कम सदन की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए था। पार्षदों को सोचना चाहिए कि जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है और उन्हें पढ़े लिखे नागरिकों की तरह व्यवहार करना चाहिए।

सांसद किरण खेर ने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर कहा कि उन्हें काफी दुख है कि पंजाब का माहौल खराब हो रहा है। जबकि पंजाब को शांति की तरफ बढ़ना चाहिए।

बता दें कि आम आदमी पार्टी के सबसे ज्यादा पार्षद होने के बावजूद भाजपा का मेयर चुना गया था। कुल 35 सदस्यों में से 14 आम आदमी पार्टी के थे और भाजपा के 13 पार्षद थे। कांग्रेस के पास सात सदस्य थे, जिसमें से एक ने भाजपा से हाथ मिला लिया। वहीं अकाली दल के पास एक सदस्य है।

जब किरण खेर से आम आदमी पार्टी के पार्षदों के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने आपा खो दिया और कहा, ‘वो तो अपनी ही दुनिया में कहीं सैटलाइट में बैठे हुए बनाना चाहते हैं। उनकी बातें छोड़ दें…जिस तरह उन्होंने दंगा फसाद किया था हाउस में पहले दिन जब वो चुनकर आए थे…कम के कम उन्हें ये सोचना चाहिए था कि जो यहां हम आए हैं…इस जगह की इज्जत कीजिए। इस जगह की एक गरिमा है वो लोग टेबल तोड़ रहे थे, कांच तोड़ रहे थे। मैंने तो इतना जंगलीपना कभी नहीं देखा। ऐसा लगा जैसे डंगर घूम रहे हों वहां पे। बहुत डर लग रहा था।’

आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने सांसद किरण खेर द्वारा आप पार्षदों के लिए कहे गए शब्दों पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि शहर की सांसद को इस तरह के शब्दों का प्रयोग करने से पहले सोचना चाहिए।

सांसद किरण खेर ने कहा कि शहर में ट्रैफिक की व्यवस्था को ठीक करने के लिए कार पुलिंग का सिस्टम लागू होना चाहिए। कुछ साल पहले जब मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम हो रहा था तो उन्होंने इसलिए इस प्रोजेक्ट के खिलाफ अपनी बात रखी थी क्योंकि इस प्रोजेक्ट पर काफी पैसा खर्च होना था और सड़क और शहर को जगह जगह से खोद दिया जाता। शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए फ्लाईओवर बनने चाहिए।