विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण में शामिल मंत्र को गलत करार देने वाले भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी अब इस मामले को लेकर सरकार को घेरने में लग गए हैं। उन्होंने मामले को विधानसभा में उठा कर इसमें सुधार का सुझाव भी दिया था। तिवाड़ी सोमवार को यहां राज्यपाल कल्याण सिंह से मिले और उनके अभिभाषण में शामिल किए श्लोक को लेकर आपत्ति भी दर्ज कराई।
राज्य में अपनी ही पार्टी की वसुंधरा राजे सरकार की कार्यशैली से नाखुश विधायक घनश्याम तिवाड़ी अपने उठाए एतराज पर अड़े हैं। उन्होंने सोमवार को यहां राज्यपाल कल्याण सिंह से मिल कर कहा कि गलत मंत्र पर उनका एतराज सौ फीसद सही है। इसके लिए उन्होंने राज्यपाल को ग्रंथों और कई दस्तावेजों का हवाला भी दिया। उनका कहना है कि अभिभाषण में शामिल श्लोक अंतिम संस्कार के दौरान पढ़ा जाता है। तिवाड़ी ने राज्यपाल को दो ग्रंथ भी सौंपे जिनमें अभिभाषण में शामिल मंत्र और उसकी व्याख्या की गई है।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद तिवाड़ी ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को बताया कि अभिभाषण में शामिल मंत्र अंत्येष्टि के दौरान पढ़ा जाता है।
तिवाड़ी के मुताबिक उनकी आपत्ति को राज्यपाल ने सुना और भरोसा दिया कि इस मामले में सरकार से जवाब मांगा जाएगा। साथ ही भरोसा दिया कि आपत्ति सही हुई तो कार्रवाई भी की जाएगी। तिवाड़ी का कहना है कि राज्यपाल के अभिभाषण में इस तरह की भूल कोई मामूली बात नहीं है।
तिवाड़ी का कहना है कि राज्यपाल के अभिभाषण में इस तरह की गंभीर भूल रहेगी तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। तिवाड़ी ने अपनी आपत्ति के संदर्भ में कई संस्कृत विद्वानों का भी जिक्र किया और कहा कि उनका भी मानना है कि श्लोक अलग समय ही बोला जाता है। तिवाड़ी ने विधानसभा में अपनी आपत्ति को लेकर पत्र परिवहन मंत्री युनूस खान को दिया था जबकि ऐसी शिकायत आम तौर पर संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ से की जाती है।
गौरतलब है कि इन दिनों भाजपा और प्रशासनिक हलकों में खान को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सबसे भरोसेमंद मंत्री माना जाता है। राठौड़ की मुख्यमंत्री से दूरियां पनप गई है। इस बात का जिक्र तिवाड़ी ने भी इशारों ही इशारों में विधानसभा में कर दिया था।
तिवाड़ी ने सोमवार अपनी ही सरकार के मंत्रियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि अधिकारियों पर दबाव बना कर अब मंत्री अभिभाषण में शामिल श्लोक को सही ठहराने की कवायद में लगे हैं। राठौड़ अब प्रदेश सरकार में हाशिए पर चले गए हैं। भाजपा के विधायक भी अब मानने लगे है कि सरकार के अहम मसलों पर अब मुख्यमंत्री राठौड़ की राय नहीं लेती है।