बीजेपी नेता सिमरनजीत सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अल्पसंख्यक की परिभाषा बदलने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि अल्पसंख्यक के लिए एक प्रतिशत निश्चित किया जाए कि कितनी आबादी वाले इस श्रेणी में आ सकते हैं। उन्होंने मुसलमानों को द्वितीय बहुसंख्यक बताते हुए कहा कि चुनावों में हार और जीत का फैसला वो करते हैं, जो अल्पसंख्यक की परिभाषा के विपरीत है। इसके साथ ही उन्होंने 46 शहरों का डेटा पेश करते हुए कहा कि जिनकी आबादी कुछ शहरों में 50 प्रतिशत से ज्यादा है उन्हें अल्पसंख्यक कैसे कहा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक में वो समुदाय आते हैं, जिसका आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से कोई प्रभाव ना हो और उसकी आबादी नगण्य हो। उन्होंने कहा कि ये पत्र इसलिए लिखा क्योंकि आज जो द्वितीय बहुसंख्यक है, उस पर राजनीति की कई सीटें निर्भर करती हैं। चुनाव में भी जीत हार का फैसला वो ही करते हैं, जो अल्पसंख्यक की परिभाषा के विपरीत है।
दूसरा सबसे बड़ा कारण बीजेपी नेता ने ये बताया कि जो बचे हुए अल्पसंख्यक सिख, जैन, बौद्ध समेत अन्य समुदाय हैं, जिनकी आबादी 2 प्रतिशत से ऊपर नहीं है, उन्हें कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि पिछले 25 से 30 साल का रिकॉर्ड उठाकर देख लो। जो भी चेयरमैन बनाए जा रहे हैं वो द्वितीय बहुसंख्यक से ही बनाए जा रहे हैं।
उन्होंने अपने पत्र में 2011 की रिपोर्ट के आधार पर द्वितीय बहुसंख्यक की आबादी के आंकड़े पेश किए हैं। इसमें 46 शहरों का उदाहरण दिया गया है। उन्होंने कहा, “इसमें 20-75 प्रतिशत तक आबादी का मैंने जिक्र किया है। जिस समुदाय की शहर में 50 या उससे ज्यादा आबादी है वो अल्पसंख्यक कैसे हुआ?”
सिमरनजीत ने कहा, “मेरी मुख्यमंत्री से सिर्फ इतनी मांग है कि अल्पसंख्यक की एक परिभाषा दी जाए, जिसमें एक पर्सेंट का जिक्र हो। ताकि जो असल में अल्पसंख्यक हैं उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके। बहुत सारी योजनाएं ऐसी आती हैं, जो असली अलपसंख्यकों को पता ही नहीं चल पाती हैं।”
उन्होंने कहा कि शुरुआत से द्वितीय बहुसंख्यक को लेकर सिर्फ राजनीति होती आ रही है। उनकी आबादी है तभी तो हो रही है। सिख या जैन पर नहीं हो रही क्योंकि मालूम है कि वो 2 पर्सेंट भी नहीं हैं, तो इनका वोट बैंक में हस्तक्षेप ही नहीं है तो ये क्या विधायक और सांसद चुनेंगे।
उन्होंने मांग की कि द्वितीय बहुसंख्यक का एक विभाग बनाया जाना चाहिए और मुसलमानों को अल्पसंख्यक से हटाकर उसमें शामिल करना चाहिए।
