Gujarat Assembly Election: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नरोदा पाटिया हत्याकांड (Naroda Patiya massacre) के दोषी की बेटी को भी गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) में टिकट दिया है। 28 फरवरी, 2002 के इस हत्याकांड में 90 से अधिक लोग मारे गए थे। मनोज कुकरानी (Manoj Kukrani) को नरोदा पाटिया (Naroda Patiya) नरसंहार में दोषी ठहराया गया था। इस घटना में मारे गए सभी लोग मुस्लिम थे। कुकरानी अब जमानत पर बाहर हैं।
मौजूदा विधायक की जगह पायल कुकरानी (Payal Kukrani) को मिला टिकट
मनोज कुकरानी की बेटी पायल कुकरानी (Payal Kukrani) ने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है। नरोदा पाटिया की तरह नरोदा गाम भी नरोदा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। पायल को अपने नरोदा गढ़ से मैदान में उतारने के लिए बीजेपी ने मौजूदा विधायक बलराम थवानी को इस बार टिकट नहीं दिया। थवानी पिछली बार 60,000 से अधिक वोटों के अंतर से इस सीट पर जीते थे।
लंबे समय से जीत रही बीजेपी, कांग्रेस को 1985 में मिली थी आखिरी जीत
वास्तव में, नरोदा विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी काफी लंबे समय से जीतती आ रही है और हर बार पार्टी की यहां भारी मतों के साथ जीत हुई है। गुजरात सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी ने 1998 और 2002 के चुनावों में 1 लाख से अधिक वोटों के अंतर से यहां जीत हासिल की थी और 2007 में यह अतंर बढ़कर 1.80 लाख से अधिक पर पहुंच गया था। भाजपा की निर्मलाबेन वाधवानी ने 2012 में करीब 58,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। कांग्रेस आखिरी बार 1985 में नरोदा से जीती थी।
1995 से हर बार सिर्फ सिंधी उम्मीदवार उतारा
इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा आबादी सिंधियों और राजस्थान मूल के लोगों की हैं। बीजेपी ने 1995 से इस सीट पर हमेशा सिंधी उम्मीदवार ही उतारा है। कोडनानी, वाधवानी, थवानी और कुकरानी सभी सिंधी हैं।
थवानी ने द इंडियन एक्सप्रेस (The Indian Express) को बताया, “पार्टी ने मुझे बताया था कि इस बार सीट से एक महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारने की योजना है। वह (पायल) मेरी बेटी जैसी है, क्योंकि वह मेरी बेटी के साथ बड़ी हुई है। मैं अपनी पूरी ताकत के साथ उनके लिए प्रचार करूंगा और यह सुनिश्चित करूंगा कि वह 80,000-90,000 से अधिक के अंतर से जीतें।” थवानी ने यह भी कहा कि पार्टी ने उन्हें बूथ प्रबंधन सहित वार्ड की पूरी जिम्मेदारी दी है, और वह निर्वाचन क्षेत्र के दैनिक दौरों में उनके साथ हैं।
जब थवानी से पूछा गया कि पायल के पिता एक दंगे में दोषी हैं तो उन्होंने कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, “मीडिया जो चाहे प्रकाशित कर सकती है, लेकिन यहां के लोग सच्चाई जानते हैं और याद रखते हैं। (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष) सोनिया गांधी के निर्देश पर घटना के 90 दिन बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी, और यहां की जनता यह याद रखने के लिए काफी समझदार है कि यह एक प्रेरित आरोप था। वास्तव में, मुझे याद है कि कुकरानी परिवार उस समय शहर में भी नहीं था। इसके अलावा, उस समय पायल सिर्फ 9 साल की बच्ची थी।