भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में दाखिल उस याचिका का समर्थन किया है जिसमें केंद्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा हिंदी करने की मांग की गई है। कश्मीर में कठुआ जिले के भाजपा उपाध्यक्ष और प्रभारी युधवीर सेठी ने ये मांग की है। उन्होंने एक न्यूज चैनल से कहा कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद अगर हिंदी सरकारी भाषा बनती है तो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ये ‘सबसे बड़ा गिफ्ट’ होगा।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त कर दिए थे। इसके साथ ही प्रदेश को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया।
युधवीर सेठी ने कहा कि उर्दू का जाल बुनकर जिस प्रकार से हमारी जमीनें हड़प ली गईं, जिस प्रकार हमारी नौकरियां हड़प ली गईं, उससे हम लोग निजात पाएंगे। उन्होंने कहा, ‘भविष्य में हिंदी भाषा में हमारे टेस्ट होंगे, हिंदी में सरकारी कागज लिखे जाएंगे। हमारी आने वाली पीढ़ियां इससे निजात पाएंगी।’ इधर याचिका पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को नोटिस जारी किया है, जिसमें हिंदी को आधिकारिक भाषा घोषित करने की मांग की गई है।
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चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस संजय धर की पीठ ने यूटी प्रशासन ने पूछा कि वह कारण बताएं कि याचिका क्यों स्वीकार ना किया जाए। इस मामले की सुनवाई के लिए 7 अक्टूबर, 2020 के दिन को सूचीबद्ध किया गया है।
दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता मगव कोहली ने दायर याचिका में कहा कि सभी सरकारी दस्वावेज उर्दू में होने के चलते स्थानीय आबादी को मुश्किलों को सामना करना पड़ता है। उर्दू ना तो मातृभाषा है और ना ही यूटी में आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है।
अपनी याचिका में कोहली ने तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर पुरर्गठन अधिनियम, 2019 को लागू करने के बाद भी यूटी प्रशासन, राजस्व, पुलिस, अनीस्थ न्यायपालिका से संबंधित सभी दस्तावेजों को उर्दू में रिकॉर्ड करना जारी है।