बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने आज कहा कि 31 मार्च तक निबंधन नहीं कराने वाले कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी और उन्हें बंद किया जाएगा। बिहार विधान परिषद में अपनी पार्टी कांग्रेस के सदस्य दिलीप कुमार चौधरी द्वारा पूछे गए एक तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए चौधरी ने कहा कि बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम 2010 के तहत कोचिंग संस्थानों का निबंधन किया जाना है। अब तक पटना जिले में कुल 978 कोचिंग संस्थानों ने निबंध के लिए आवेदन दिया है। इनमें अब तक 233 कोचिंग संस्थान निबंधित किए गए हैं तथा 77 कोचिंग संस्थानों का निबंधन अस्वीकृत किया गया है। शेष जांच के प्रक्रियाधीन है।

उन्होंने कहा कि बिहार कोचिंग संस्थान :नियंत्रण एवं विनियमन: अधिनियम 2010 के तहत निबंधन के लिए 5000 शुल्क निर्धारित किया गया है। विभागीय निर्देश के आलोक में दिनांक 31 मार्च 2017 तक अनिवार्य रूप से निबंधन कराने का निर्देश दिया गया है। चौधरी ने बताया कि कतिपय कोचिंग संस्थान द्वारा फीस मनमाना ढंग से लेने की शिकायत मिलने पर जिला स्तर पर जिला पदाधिकारी द्वारा एक्ट के तहत 25000 से 100000 तक आर्थिक दंड एवं निबंधन रद्द करने का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि निबंधन के लिए निर्धारित की गयी तारीख के बाद भी अगर कोचिंग संस्थानों द्वारा निंबंधन नहीं कराया जाता है तो प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारी से इस संबंध में रिपोर्ट तलब कर निबंधन नहीं कराने वाले कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी तथा उन्हें बंद किया जाएगा।

चौधरी ने राधाचरण सिंह द्वारा पूछे गए एक तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत भारत सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्वीकृत 21419 प्राथमिक विद्यालयों के विरूद्ध राज्य सरकार द्वारा कक्षा 01 से 05 तक की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 21253 प्राथमिक विद्यालय खेले गए हैं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्वीकृत 19705 मध्य विद्यालयों के लक्ष्य के विरूद्ध 19604 प्राथमिक विद्यालयों में उत्क्रमित किया गया है।

चौधरी ने बताया कि प्रदेश के कुल 70934 विद्यालयों में से 7098 विद्यालय भवनहीन है। ऐसे 1773 भूमिहीन एवं भवनहीन नये प्राथमिक विद्यालय जो वर्तमान में संम्बद्ध होकर किसी अन्य प्राथमिक विद्यालय अथवा मध्य विद्यालय में संचालित हो रहे हैं एवं उक्त बसाबट के एक किलोमीटर की परिधि में ही संम्बद्ध विद्यालय अवस्थित है का संविलियन शिक्षक इकाई सहित संबन्धित सम्बद्ध प्राथमिक अथवा मध्य विद्यालय में करने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने बताया कि शेष भूमिहीन एवं भवनहीन 5325 विद्यालयों के भवन निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है। भूमि उपलब्ध कराने के लिए जिला स्तर पर सघन अभियान चलाया जा रहा है। संबंधित जिला पदाधिकारी के स्तर से नवसृजित प्राथमिक विद्यालयों की सूची के साथ भूमि उपलब्धता का प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद उन नवसृजित विद्यालयों के भवन निर्माण के लिए वार्षिक कार्य योजना एवं बजट की राशि की स्वीकृति के वास्ते प्रस्ताव दिया जा सकेगा। स्वीकृति के बाद प्रस्तावित विद्यालयों के भवन निर्माण की कर्रवाई की जा सकेगी।