कश्मीर के पुलवामा हमले में 44 सीआरपीएफ जवानों में शहीद हुए भागलपुर के रतनगंज गांव के रतन ठाकुर के दिल में बहन की डोली विदा करने की कसक रह गई। उसने एक रात पहले ही फोन कर पिता निरंजन ठाकुर को बेफिक्र रहने की ढांढस बंधाई थी कि बहन की शादी होली पर घर आकर धूमधाम से करूंगा। यह बात शहीद रतन के पिता ने रो-रो कर सबको बताई। बेटे के शहीद होने की खबर मिलते ही पिता टूट गए। पूरा परिवार सुधबुध खो बैठा। ठाकुर की पत्नी गर्भवती है। चार साल का एक बेटा भी है। सभी कहलगांव अनुमंडल के अमदंडा रतनगंज गांव में रहते हैं। बेटा कृष्णा कहता है पापा होली पर आएंगे। उसकी तोतली बोली सुन कर लोगों का दिल पसीज जाता है। पूरा गांव गमगीन है। शुक्रवार को किसी के घर चूल्हा तक नहीं जला है। पुलवामा हमले में वीरगति पाने वालों को जगह-जगह श्रद्धांजलि दी जा रही है। कैंडल मार्च निकाला गया।

रतन ने अपना प्रशिक्षण पूरा कर दोपहर में पत्नी राजनंदनी को बताया था कि वह शाम तक श्रीनगर पहुंच जाएगा। तब फोन पर बात करूंगा। लेकिन शाम को उसके दफ्तर से फोन आया और रतन के मोबाइल नंबर (कोई और नंबर भी इस्तेमाल में हो तो) के बारे में पूछा गया। जब आफिस के नंबर से फोन पर रतन का मोबाइल नंबर मांगा गया तो शक हुआ और टीवी ऑन किया। टीवी पर खबर देख कर दिल बैठ गया। आनन-फानन में कमांडर को फोन किया तो उन्होंने बताया कि अभी कुछ पक्की खबर नहीं है। रतन की मां का निधन 2013 में हो गया था। इसके साथ ही पिता ने बड़ी दिलेरी से कहा कि मैं दूसरा बेटा भी भेजने को तैयार हूं। लेकिन पाकिस्तान से बदला लेना है।

पापा तो ड्यूटी पर गए हैं

शहीद रतन के मासूम बेटे को नहीं पता कि उसके पिता शहीद हो गए हैं। रतन के पिता निरंजन ने बताया कि उनके पोते कृष्णा को कुछ नहीं पता। जब उससे पिता के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि पापा ड्यूटी पर गए हैं। रतन की मां का निधन 2013 में हो गया था। इसके साथ ही पिता ने बड़ी दिलेरी से कहा कि मैं दूसरा बेटा भी भेजने को तैयार हूं। लेकिन पाकिस्तान से बदला लेना है।