नीतीश कुमार ने एनजीओ सृजन घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश कर एक तीर से कई निशाना साधा है। पहले तो विरोधियों की बोलती बंद कर दी, दूसरे भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की अपनी पुरानी मंशा का फिर इजहार कर दिया और तीसरा सत्ता की भागीदार भाजपा को भी आईना दिखा दिया। भाजपा को इसलिए आईना दिखाने की बात कही जा रही है क्योंकि छुटभय्यै से लेकर बड़े भाजपाइयों और उनके खास लोगों के इस घोटाले में ना केवल संलिप्तता की बात उजागर हो रही है बल्कि सृजन से मलाई खाने की भी बात सामने आ रही है। फिलहाल इस घोटाले की रकम का आंकड़ा 700 करोड़ रूपए पार किया है लेकिन पूर्व उप मुख्यमंत्री और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इसे 2000 करोड़ रूपए का घोटाला बता रहे हैं। तेजस्वी ने पिछले दिनों घोटाले में नीतीश और सुशील मोदी की संलिप्तता की बात करते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी।
तेजस्वी ने कहा था कि इस घोटाले में बड़े-बड़े लोग शामिल हैं जिन्हें दबोचना बिहार पुलिस के बूते से बाहर है। इधर, भागलपुर में भी इस बात का संतोष है कि सीएम ने एनजीओ घोटाले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है। श्रद्धा भारती के संयोजक संजीव कुमार शर्मा उर्फ लालू ने कहा कि सीबीआई जांच में गरीबों का धन एनजीओ सृजन से सांठगांठ कर लूटने वाले और मालामाल हुए रसूखदारों की पोल खुलेगी। उन्होनें स्मार्ट सिटी के लिए आए फंड का भी ऑडिट महालेखाकार से कराने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया है।
हालांकि, भागलपुर रेंज के आईजी ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की सचिव प्रिया कुमारी और इनके पति अमित कुमार, पूर्व भू-अर्जन अधिकारी राजीव रंजन बगैरह को दबोचने के लिए तेज तर्रार पुलिस अफसरों की टीम बनाई की है मगर नतीजा अभी तक कुछ नहीं निकला है। इस टीम में भागलपुर, बांका और बेगूसराय के पुलिस अफसरों को शामिल किया गया है।
इधर जेल भेजे गए कल्याण अधिकारी अरुण कुमार की पत्नी इंदु गुप्ता के नाम बंधन बैंक में डेढ़ करोड़ रुपए जमा का पता चला है, जिसकी निकासी पर रोक लगा दी गई है और अकाउंट को फ्रिज कर दिया गया है। इन दोनों पति-पत्नी के अबतक 17 बैंक अकाउंट का पता पुलिस को लगा है। उनके पटना स्थित आवास से पुलिस को एक किलो चांदी और पांच लाख रूपए नकद मिले हैं जिसे जब्त कर लिया गया है।
बता दें कि सृजन के दफ्तर में लगी दर्जनों तस्वीरें बताती हैं कि रसूखदारों के सृजन महिला विकास सहयोग समिति से गहरे रिश्ते रहे हैं। इन रिश्तों की वजह से ही इनके प्यादों की हैसियत रंक से राजा की हुई है। एक दर्जन डीएम और डीडीसी और दूसरे अफसरों के गिरेबां पर हाथ डालना पुलिस के बूते के बाहर लगता है। इनमें कई अफसरों की पत्नियां भी शामिल हैं। मिसाल के तौर पर इंदु गुप्ता हैं जिन्हें सोने के जेबरात से लदे रहने का शौक था। सृजन की फरार सचिव प्रिया कुमार और इनके पति अमित कुमार और पूर्व भू- अर्जन अधिकारी राजीव रंजन और दूसरे फरार संलिप्त लोगों को ढूंढ़ना पुलिस के लिए टेडी खीर है। गिरफ्तार नाजिर महेश मंडल का बेटा शिव मंडल भी गिरफ्त से बाहर है।
अब आमलोगों, विपक्षी राजनैतिक दलों और ईमानदार अधिकारियों को भरोसा है कि सीबीआई जांच से सब साफ हो सकेगा। जिन चेकों के जरिए सरकारी खाते से सृजन के खाते में करोड़ों रुपए ट्रांसफर हुए हैं और उन चेकों पर डीएम के दस्तखत हैं, अब वे अपने दस्तखत को फर्जी बता रहे हैं। सीबीआई जांच में उनका भी खुलासा हो सकेगा। तभी बैंकों की साख पर लगे बट्टा की असलियत भी सामने आ पाएगी । नोटबंदी के दौरान सृजन के जरिए अपनी काली कमाई किस-किस ने सफेद की, इसका भी खुलासा होने की उम्मीद है। इसके लिए आयकर महकमा को भी अपनी नजरें खोलनी होगी। पता नहीं आयकर विभाग ने नोटबंदी के बाद सृजन और इनसे जुड़े कद्दावर नेताओं की तरफ किस वजह से गौर नहीं किया। भरोसे लायक सूत्र बताते हैं कि सृजन के जरिए यहां पोस्टेड बड़े अधिकारियों ने भी नोटबंदी में काले को सफेद करने में मौके का खूब फायदा उठाया।