पटना हाई कोर्ट के आदेश पर बिहार में धान के बदले चावल देने में हुए करोड़ों रूपए के घपले की जांच अब विशेष जांच दल (एसआईटी) करेगा। हालांकि, यह मामला तीन से पांच साल पुराना है। मगर रह रहकर यह तूल पकड़ रहा है। इसके आरोपी ज्यादातर मील मालिक सुप्रीम कोर्ट की जमानत पर हैं। मालूम हो कि धान के बदले चावल आपूर्ति से जुड़े ये मामले 2011 से 2014 के बीच का है। इस घोटाले में उस समय राज्य के 1202 चावल मील मालिकों के खिलाफ विभिन्न जिलों के थानों में केस दर्ज किए गए थे। तब से यह मामला अदालत में लंबित है। मील मालिकों पर आरोप है कि इन लोगों ने बिहार राज्य खाद निगम से धान तो लिया, मगर बदले में चावल नहीं दिया। इसमें एक-एक मील मालिकों ने हजारों क्विंटल धान का घोटाला किया है।

हाल ही में पटना हाई कोर्ट ने राज्य के विभिन्न सेशन कोर्ट और हाई कोर्ट की जमानत पर चल रहे मील मालिकों की जमानत रद्द कर दी थी। ये जमानत की शर्तों को पूरा नहीं कर रहे थे। बाद में तमाम मील मालिक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए। जहां से उन्हें राहत मिली। बिहार राज्य खाद्य निगम (जिला खगड़िया) द्वारा 23 मार्च 2017 को लिखे गए पत्र के मुताबिक, जिनको जमानत दी गई है उन्हें धान की रकम के बराबर बैंक गारंटी एक महीने के अंदर जमा करानी है। वरना, जमानत रद्द हो जायेगी। साथ ही आरोपी मील मालिकों को अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा, ताकि बगैर कोर्ट की इजाजत के वे देश के बाहर नहीं जा सकें।

इधर, पटना हाई कार्ट ने जांच में तेजी लाने के लिए एसआईटी का गठन करने का राज्य सरकार को आदेश दिया है। इसी के मद्देनजर सीआईडी के अपर महानिदेशक विनय कुमार के नेतृत्व में विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है। जिसमें पुलिस के सात वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। आईजी अजिताभ कुमार, एसपी नवीन चंद्र झा और संजय कुमार, एएसपी शैलेश कुमार सिंहा के अलावा दो डीएसपी भी टीम में है। विशेष जांच दल में शामिल अफसरों का तबादला हाई कोर्ट की अनुमति के बगैर नहीं हो सकता है। ऐसा कोर्ट का आदेश है।

एसआईटी एक करोड़ रुपए के मामले का सुपरविजन करेगी। इससे कम के मुकदमे की निगरानी करेगी और जो मामले बंद कर दिए गए हैं उनकी फिर जांच कराएगी। सूत्र बताते हैं कि तमाम जांच एजेंसियों निर्देश दिया गया है कि एसआईटी को संबंधित कागजात जल्द से जल्द मुहैया कराई जाए। इससे साफ हो गया है कि इन मील मालिकों की मुसीबत कम नहीं हुई है।