अपने चुनाव प्रबंधन कौशल के लिए मशहूर हो चुके प्रशांत किशोर से बिहार सरकार को सेवाएं देना बंद नहीं किया है। यह कहना है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। उनके अनुसार, किशोर बिहार सरकार के एक वरिष्ठ सदस्य हैं। विपक्षी भाजपा ने आरोप लगाया था था कि किशोर उत्तर प्रदेश और पंजाब में कांग्रेस का चुनाव प्रचार करने अपना गृह राज्य छोड़कर चले गए हैं। प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार तो छह महीनों के भीतर तीसरी बार सीएम बानने में मदद की थी। इसके बदले किशोर को बिहार विकास मिशन के लिए नीतीश का विशेष सलाहकार बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। NDTV के अनुसार, नीतीश ने कहा, ”मैं जानता हूं कि बहुत से लोगों को सिर्फ बातें बनाना आता है, लेकिन हम जानते हैं कि उनके (किशोर) पास उत्तर प्रदेश और पंजाब में राजनैतिक दायित्व हैं। इस बात पर फैसला हो चुका है कि वे अगले आठ महीनों तक इस दोहरे काम पर ध्यान देंगे।”
बिहार में भाजपा के चेहरे, सुशील कुमार मोदी ने सरकार से पूछा था कि किशोर को इतनी लंबे समय तक अनुपस्थित रहने की छूट कैसे दी गई है। मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के अनुसार, किशोर को बिहार सरकार की ओर से कोई वेतन या सुविधा नहीं मिली। किशोर का घर और कार्यालय, दोनों पटना स्थित मुख्यमंत्री आवास का हिस्सा है। 2014 में भाजपा की जाेरदार जीत के लिए किशोर को बड़ी कीमत दी गई, इसके बाद वे राजनैतिक परिदृश्य में तेजी से उभरे। अब वे कांग्रेस के साथ हैं तो असली टेस्ट यूपी चुनावों में होने की बात कही जा रही है।
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उत्तर प्रदेश में अभी तक, प्रशांत किशाेर कांग्रेस को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के लिए मना नहीं पाए हैं। अभी तक प्रियंका गांधी को महत्वपूर्ण भूमिका दिए जाने पर भी कोई फैसला नहीं हो सका है।