बिहार में महागठबंधन के बीच जारी तनाव के दौरान ही पिछले हफ्ते जदयू विधायकों की नीतीश कुमार से मुलाकात हुई। नीतीश ने अपने विधायकों से राजद की आलोचना से परहेज करने को कहा। विधायकों अभी इस “राजाज्ञा” के सही-सही अर्थ को बूझने की कोशिश ही कर रहे थे कि नीतीश ने अलसाए हुए लहजे में कहा, “अब तो कॉन्क्लूजन का समय आ गया है।” जदयू नेताओं के अनुसार उस समय तक नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हाथ मिलाने का मन बना चुके थे। बुधवार (26 जुलाई) की शाम बिहार का राजनीतिक घटनाक्रम नाटकीय तेजी से बदलना शुरू हुआ जो आधी रात तक जारी रहा। जदयू विधायकों की बैठक पहले गुरुवार (27 जुलाई) को होनी थी लेकिन नीतीश ने इसे बुधवार को ही बुला लिया। जदयू ने राजद विधायकों की बैठक के कुछ ही देर बाद के लिए ये बैठक बुलाई।

राजद ने बुधवार की विधायक दल की बैठक के बाद साफ कर दिया कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे तब नीतीश ने अगला कदम उठाने का फैसला लिया। जदयू नेताओं के अनुसार नीतीश चाहते तो राज्यपाल से तेजस्वी यादव को पद से हटाने की सिफारिश कर सकते थे लेकिन तब वो खुद को पीड़ित बताने लगते। इसीलिए नीतीश ने खुद ही इस्तीफा दे दिया ताकि तेजस्वी और लालू यादव को ये मौका न मिल सके।

मुख्यमंत्री आवास एक अणे मार्ग पर जब सभी जदयू एमएलए और एमएलसी इकट्ठा हुए तो नीतीश ने उन्हें संबोधित करना शुरू किया। सूत्रों की मानें तो नीतीश ने सात जुलाई को लालू यादव के आवास पर मारे गए सीबीआई छापे के बारे में विस्तार से बताया। नीतीश ने इस मसले पर की गई अपनी कोशिशों और संभावित समाधान के बारे में भी बताया। नीतीश ने कहा, “चूँकि कोई समाधान नहीं निकल रहा था इसलिए मेरे अंदर दो दिन से संघर्ष चल रहा था। मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है।” सूत्रों के अनुसार नीतीश की घोषणा के बाद जदयू विधायक तालियां बजाने लगे। तुरंत ही राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से समय लिया गया। इस्तीफा देने के बाद नीतीश लालू के आवास पर छापे के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए और बीजेपी से गठबंधन के संकेत दे दिए।

इस्तीफा देने के बाद नीतीश एक अणे मार्ग वापस आकर टीवी पर लालू यादव का बयान देखने लगे। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया जिसका नीतीश ने भी जवाब दिया। सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने नीतीश को फोन भी किया। पीएम के फोन के करीब आधे घंटे बाद बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने नीतीश को फोन किया। सूत्रों के अनुसार बिहार के मोदी से फोन पर बात करने के बाद नीतीश ने अपने स्टाफ से कहा, “अरे, बीजेपी के लोग आ रहे हैं, खाना भी खाएंगे।” उसके बाद करीब 60 मेहमानों के स्वागत का इंतजाम होने लगा। सीएम की रसोई में पूड़ी, आलू सब्जी, पनीर सब्जी और दाल पके। कुर्सियां लगाई गईं।

बिहार बीजेपी के तकरीबन सभी बड़े नेता- सुशील मोदी, नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार नित्यानंद राय के अलावा जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री आवास उल्लास के साथ पहुंचे। माना जा रहा है कि सुशील मोदी ने वहां पहुंचते ही साफ कर दिया था कि बीजेपी सरकार में शामिल होगी। नीतीश को तत्काल ही एनडीए का नेता चुन लिया गया। माना जा रहा है कि नीतीश ने बीजेपी नेताओं से अतीत को भुलाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ साथ मिलकर काम करने के लिए कहा।  सूत्रों की मानें तो सुशील मोदी ने भावविभोर होकर कहा, “लग रहा है कि मैं कोई सपना देखरहा हूं।” सुशील मोदी ने नीतीश से कहा कि पीएम मोदी से जब भी आपकी चर्चा हुई उन्होंने आपके अच्छे काम की तारीफ की। अपने पुराने साथी के मुँह से अपनी तारीफ सुनकर नीतीश केवल मुस्करा कर रह गए।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (दाएं) के साथ नीतीश कुमार। (फाइल फोटो)