इस लिपि का एक समय उत्तरी और पूर्वी भारत में व्यापक उपयोग किया जाता था। बिहार सरकार के संस्कृति एवं युवा विभाग के अपर सचिव दीपक आनंद ने बताया कि विभिन्न भारतीय भाषाओं यथा अंगिका, बज्जिका, अवधी, भोजपुरी, मगही, मैथिली और नागपुरी के लिए कैथी लिपि का उपयोग कानूनी, प्रशासनिक और निजी दस्तावेज लिखने के लिए किया जाता था।
उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार ने इस लिपि को संरक्षित करने का फैसला किया है। कैथी के विशेषज्ञों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद हम जल्द ही इस लिपि के पुनरुद्धार के लिए एक योजना तैयार करेंगे।’ आनंद ने कहा, ‘इस मामले पर पिछले सप्ताह लखनऊ में आयोजित उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) की शासी निकाय की बैठक में चर्चा की गई थी।
बैठक की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की थी और इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘बाद में मैंने एनसीजेडसीसी के निदेशक सुरेश शर्मा के साथ इस मुद्दे पर अलग से चर्चा की।’आनंद ने कहा कि बिहार सरकार कैथी लिपि के पुनरुद्धार की योजना पर काम करेगी और जल्द ही इसे लेकर आएगी।
शर्मा ने कहा कि एनसीजेडसीसी की शासी निकाय की बैठक में लुप्त होती कलाओं व भाषाओं और राज्यों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को उजागर करने से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा लोक और आदिवासी कलाओं को प्रोत्साहित करने एवं कैथी लिपि सहित लुप्त हो रही कलाओं के अन्य रूपों और भाषाओं के संरक्षण के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार करने के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की गई।’