बिहार में पुलिस मालखाने में रखी शराब को मयकश चूहे गटक जाने की खबर जब से सुर्खियों में आई है। तब से सुशासन बाबू की नींद हराम हो गई है। ज़िलों में अब जब्त शराब की बोतलों को तोड़ कर सड़क या नालियों में बहाया जा रहा है। पटना, पूर्णिया, सारण, कटिहार , वैशाली ज़िलों से ऐसी खबरें आ रही है। और अब यह सिलसिला चल पड़ा है। ज़िलों के डीएम और एसएसपी और एसपी रैंक के अफसरों की भी सोच है कि ” न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी ” मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बुधवार को इस बाबत उच्चस्तरीय बैठक कर सख्त हिदायत दी है। बीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सूबे के सभी डीएम और एसएसपी व एसपी से साफ़ कहा है कि मुझे समीक्षा नहीं कार्रवाई चाहिए। न शराब आए और न कोई पिए। बस दो टूक बात है। इसे ही सुनिश्चित करें। क्यों कि इस मुद्दे को जनता का समर्थन है। कुछ लोग यह धंधा कर माहौल गंदा कर रहे है।

हालांकि सुशासन बाबू की फ़िक्र और ज़िले की बेइज्जती के मद्देनजर जब्त शराब को बहा देने की सोच बनी है। पटना में 17586 शराब की बोतलों को सड़क पर बिछा रोडरॉलर चला नष्ट कर दिया गया। वहां के डीएम संजय अग्रवाल ने यह काम मंगलवार को अपनी निगरानी में कराया। इन बोतलों में 9645 लीटर विदेशी शराब थी। इससे पहले आर्थिक अपराध शाखा ने सारण ज़िले में जब्त 685 कार्टून विदेशी शराब को नालियों में बहाया था। भागलपुर रेल पुलिस ने भी शराब से भरी एक हजार से ज्यादा बोतल को फोड़कर गटर में बहा दिया। इसी तरह पूर्णिया के एसपी निशांत तिवारी के मुताबिक ज़िले में जब्त 4932 लीटर विदेशी और 4279 लीटर देशी शराब नष्ट किया गया है। मसलन पूर्णिया में अबतक जब्त शराब का कतरा कतरा नालियों में बहा नष्ट कर दिया है।

कटिहार में बुधवार को हजारों लीटर दारू एक कुएं में डाल आग लगा दी गई। आग लगाने के दौरान जोरदार विस्फोट भी हुआ। यह तो गनीमत रही आग के एकबेग उठे गुब्बरे नुमा अंगारे की चपेट में वहां खड़े तमाशबीन नहीं आए। वरना बड़ा हादसा हो सकता था। ऐसे में शराब बंदी कानून के बाद यानि 5 अप्रैल 2016 से लेकर 8 मई 2017 तक सूबे में 2 लाख 46 हजार 717 छापेमारी हुई है। जिसमें 45230 मामले दर्ज किए गए। जिनमे 50343 जनों को गिरफ्तार कर 50306 लोगों को जेल भेजा गया। छापेमारी में 3 लाख 56 हजार 021 लीटर देसी, 5 लाख 96 हजार 937 लीटर विदेशी शराब जब्त की गई। इसके अलावे 55058 लीटर स्प्रिट, 11415 लीटर बीयर, 117613 लीटर चुलाई वाली दारू और 7629 मसालेदार देसी शराब वरामद की गई।

जाहिर है रोक के बाद भी शराब माफिया की सक्रियता की वजह से बिहार में यह धंधा फलफूल रहा है। तभी इतनी तायदाद में जब्ती हुई है। इससे कहीं अधिक पी ली गई होगी। जब्ती का बाकायदा यह सरकारी आंकड़ा है। जो मुख्यमंत्री के सामने बुधवार को पेश किया गया। यह सच है कि झारखंड , नेपाल, बंगाल और उत्तरप्रदेश और असम से बिहार आने वाली ट्रेनें मयखाना एक्सप्रेस बनी है। रोजाना शराब में टुन्न हो दर्जनों पुलिस की गिरफ्त में आते भी है। पर बेख़ौफ यह सिलसिला जारी है। जब्त शराब को मालखाने में न रख अब नष्ट करने की नीति भी अपने मातहतों की बेजा करतूत की वजह से बनी है। देखना है कहीं इसमें भी चूहे छेद न कर दें।