बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में गलत तरीके से बहाली करने को लेकर पूर्व कुलपति डा. मेवालाल चौधरी के खिलाफ दर्ज एफआईआर मामले में डीएसपी रमेश कुमार ने रजिस्ट्रार अशोक कुमार से गहन पूछताछ की है। इन्होंने ही राज्यपाल सह कुलाधिपति की अनुमति के बाद पूर्व कुलपति के खिलाफ थाना सबौर में प्राथमिकी दर्ज कराई है। तहकीकात और पूछताछ के बाद डीएसपी बहाली से सम्बंधित कई कागजात अपने साथ ले गए हैं। एसएसपी मनोज कुमार बताते हैं कि पूर्व कुलपति के खिलाफ विभिन्न गैर जमानती धाराओं के तहत प्राथमिकी संख्या 35/17 लिखी गई है। जांच के दौरान जरूरत और अपराध के मुताबिक धाराएं बदली भी जा सकती हैं। मामले में विश्वविद्यालय के अधिकारी और जिन्हें फायदा मिला है वे भी जांच घेरे में आ सकते हैं।

गौरतलब है कि डा. मेवालाल चौधरी फिलहाल मुंगेर के तारापुर विधानसभा सीट से जदयू के विधायक हैं। जब भागलपुर कृषि कॉलेज को नीतीश कुमार की सरकार ने विश्वविद्यालय का दर्जा दिया तो मेवालाल चौधरी को पहला कुलपति बनाया गया। ये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसे के और नजदीकी माने जाते हैं। जब ये रिटायर हुए तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें जदयू का टिकट देकर विधायक बना दिया। मेवालाल जी के नीतीश कुमार से रिश्ते का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब कुलपति थे तो इनकी पत्नी नीता चौधरी भी जदयू की टिकट पर तारापुर की विधायक चुनी गई थीं। लेकिन बहाली में गड़बड़ी की बात सामने आने और राजभवन से प्राथमिकी दर्ज होने के बाद विपक्षी तेवर इनके खिलाफ कड़े होने की वजह से मेवालाल चौधरी को जदयू से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को मजबूर होना पड़ा। दिलचस्प बात है कि विधायक बनने के पूर्व इन दोनों पति-पत्नी पति की कोई राजनीतिक पृष्टभूमि नहीं रही है।

जानकार बताते हैं कि इनके कुलपति कार्यकाल में बड़ा खेल हुआ है। बहरहाल, मामला 161 सहायक शिक्षक और जूनियर वैज्ञानिक बहाली में धांधली का है। इन बहालियों में डा. मेवालाल चौधरी ही बतौर कुलपति चयन बोर्ड के अध्यक्ष थे। ये बहाली जुलाई 2011 में प्रकाशित विज्ञापन के माध्यम से बाकायदा इंटरव्यू प्रक्रिया के तहत की गई थी। इसमें 80 अंक अकादमी योग्यता, 10 अंक इंटरव्यू और 10 अंक पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन को मिलाकर 100 अंक तय किए थे। इन नियुक्तियों में गड़बड़ी का शोर-शराबा इनके अवकाश ग्रहण करते ही होने लगा था। बाद में मामला राजभवन पटना तक पहुंचा। मामला संगीन जान राज्यपाल सह कुलाधिपति ने गहन जांच का जिम्मा सेवानिवृत जज महफूज आलम को सौंपा। इन्होंने हाल ही में अपनी 63 पन्नों की जांच रिपोर्ट राजभवन को सौंपी है। इसी 16 फरवरी को कुलाधिपति के प्रधान सचिव ने मेवालाल चौधरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश वर्तमान कुलपति प्रो. अजय कुमार को दिया। इसके बाद कुलसचिव ने एफआईआर दर्ज कराई है।

जानकार बताते हैं कि माननीय न्यायमूर्ति महफूज आलम ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि उत्तराखंड के पंतनगर के वाशिंदों का फर्जी आवासीय प्रमाण-पत्र बनाया गया। कम योग्यता वालों को साक्षात्कार और पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन में पूरे अंक दिए गए और उनके बारे में अनुकूल टिप्पणी भी मेवालाल ने खुद ही लिखी। और तो और काबिल और योग्य उम्मीदवारों को शून्य या एक दो नम्बर देकर अयोग्य करार दे दिया गया। रिपोर्ट में ऐसे 133 काबिल लोग बताए गए हैं। इतना ही नहीं जिनको अकादमिक योग्यता के 80 में 40 अंक आए उन्हें भी बहाल कर लिया गया। 23 ऐसे उम्मीदवारों का रिपोर्ट में जिक्र है जो नेट परीक्षा पास नहीं हैं। गड़बड़ी भवन निर्माण में भी है। जाहिर है चहेतों को बहाल किया और रुपयों ने हाथ बदला। एसएसपी मनोज कुमार बताते हैं कि जस्टिस की जांच रिपोर्ट को ही आधार मानकर पुलिस भी अपनी तहकीकात करेगी। इस दौरान और गड़बड़ी मिली तो कसूरवार को बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि, इस सिलसिले में मेवालाल चौधरी से बात करने की कोशिश की गई मगर उनका मोबाइल बंद था।