नीतीश कुमार के महागठबंधन से दूर और बीजेपी के करीब आने के जो कयास लगाए जा रहे थे, आखिरकार वह बुधवार (26 जुलाई) को सच साबित हो ही गए। नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और आज गुरुवार (27 जुलाई) को दोबारा सीएम पद की शपथ ले लेंगे। बहरहाल यह पहली बार नहीं है जब नीतीश ने अपने वजूद को खतरे में पाकर बीजेपी का सहारा लिया हो। जोड़-तोड़ की राजनीती में उन्होंने महारत हासिल कर ली है, यह कहना शायद गलत नहीं होगा। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने राजनीती में अपने शुरुआती कदम जेपी आंदोलन के समय एक साथ उठाए थे। 90 के दशक की शुरुआत में, तब प्रधानमंत्री रहे वी पी सिंह ने दोनों को जनता दल में जगह दी। 1990 में जब पार्टी बिहार में सत्ता में आई तो लालू सीएम बनें और नीतीश कुमार को राज्य कैबिनेट में जगह मिली। इसके बाद 1994 में नीतीश, लालू से अलग हो गए और जॉर्ज फर्नांडीस के साथ समता पार्टी बनाई।
1995 में विधानसभा चुनाव हुए लेकिन समता पार्टी कोई कमाल नहीं दिखा सकी। पार्टी को महज 7 सीट मिली और लालू प्रसाद यादव के हिस्से में तब 324 सीटों में से 167 सीटे आईं। इस हार के बाद नीतीश और जॉर्ज ने बीजेपी से उम्मीद लगाई। 1996 में समता पार्टी बीजेपी के साथ हो गई। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 8 सीट जीती (बिहार में 6 और ओडिशा और यूपी में एक-एक सीट)। 1998 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें बढ़कर 12 हुईं। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उनका कद बढ़ता रहा। साल 2000 में उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री का पद दिया गया। हालांकि उनकी सरकार महज 7 दिन तक चली लेकिन इस वक्त नीतीश की छवि बिहार में एनडीए के बड़े नेता के तौर पर उभरकर सामने आ चुकी थी। बीजेपी के साथ गठबंधन की वजह से नीतीश पहले 6 साल तक केंद्र में रहे। इसके बाद 2003 में नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडीस ने दोबारा कुछ पुराने साथियों से हाथ मिलाकर जेडीयू का गठन किया और 2005 में बिहार की सत्ता हासिल की।
बिहार जीतने के 2 साल बाद नीतीश ने 2007 में जॉर्ज जॉर्ज फर्नांडिस का तख्तापलट किया। शरद यादव से हाथ मिलाकर फर्नांडिस को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। नीतीश के समर्थन से शरद यादव पार्टी के नए अध्यक्ष बनें। इस समय तक नीतीश एनडीए का हिस्सा थे लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने धर्मनिरपेक्षता को आधार बताकर 2013 में ही बीजेपी से किनारा कर लिया। हालांकि नीतीश का यह दाव उल्टा पड़ गया और 2014 में बीजेपी प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई। 2014 लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने महज 2 सीटें जीती और नीतीश ने हार की जिम्मेदारी लेने का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद जीतन राम मांझी सीएम बनें लेकिन कुछ महीनों बाद मांझी बागी तेवर दिखाने लगे जिसके बाद नीतीश फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो गए। 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन बना लेकिन अब नीतीश फिर से बीजेपी से हाथ मिलाकर एनडीए का हिस्सा बन गए हैं।
Photos: बिहार में गठबंधन की हार, देखिए 20 महीने तक सीएम रहे नीतीश कुमार की कुछ अहम तस्वीरें
