दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) विधायक जितेंद्र सिंह तोमर की एलएलबी की कथित फर्जी डिग्री मामले में मुंगेर के विश्वनाथ सिंह इंस्टिट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज और तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के 17 अधिकारियों और कर्मचारियों को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 19 अप्रैल को हाजिर होने का फरमान सुनाया है। कोर्ट के आदेश के सिलसिले में सभी अधिकारी और कर्मचारी दिल्ली रवाना हो गए हैं। बता दें कि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की सिंडिकेट ने पिछले महीने ही तोमर की एलएलबी की डिग्री रद्द कर दी थी। मामले की जांच कर रही दक्षिणी दिल्ली के हौज खास थाना की पुलिस साकेत कोर्ट में तोमर और जांच में कसूरवार पाए गए कॉलेज और विश्वविद्यालय के 17 कर्मचारियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर चुकी है।
दिल्ली पुलिस के आरोप पत्र में जितेंद्र सिंह तोमर के अलावा अनिल सिंह, प्रो. रजी अहमद, डा. राजीव रंजन पोद्दार, डा. राजेंद्र सिंह, सुरेंद्र प्रसाद सिंह, दिनेश श्रीवास्तव, निरंजन कुमार, कृष्णानंद, अनिरुद्ध प्रसाद, बड़े नारायण सिंह, एचके पांडे, भूदेव प्रसाद सिंह, शंभू नाथ सिन्हा, जनार्दन प्रसाद यादव, सदानंद राय, डा. रामाशीष पूर्वे और रामावतार शर्मा के नाम का जिक्र है। कोर्ट ने इन्हें ही सम्मन भेजा है। कोर्ट का फरमान मिलते ही विश्वविद्यालय में खलबली मच गई।
हालांकि अदालत का सम्मान करते हुए सभी लोग दिल्ली रवाना हो गए हैं। मगर इनपर कौन सी दफा लगाई गई है या चार्जशीट में क्या आरोप लगाए गए हैं, इस बात की कोई जानकारी इन्हें नहीं है और सम्मन में भी इसका कोई जिक्र नहीं है। इसलिए सभी अंधेरे में हैं। जिन अधिकारी और कर्मचारियों का नाम आरोप पत्र में पुलिस ने डाला है, उनमें बड़े नारायण सिंह, रामावतार शर्मा, डा. राजेंद्र सिंह, डा. सदानंद राय, शंभूनाथ सिन्हा, भूदेव प्रसाद सिंह और एचके पांडे विश्वविद्यालय सेवा से रिटायर हो चुके हैं।
अब 19 तारीख को सभी की पेशी है। कोर्ट का रुख क्या बनता है। जमानत होगी या तारीख पड़ेगी? यह देखना है लेकिन तोमर के फेर में कई लोगों को दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ गई और अभी कितने चक्कर लगाने पड़ेंगे, ये कहना मुश्किल है।

