बिहार कर्मचारी चयन आयोग पर्चा लीक और नियुक्ति घोटाला से जुड़े एक अनुसंधानकर्ता की बात पर अगर भरोसा किया जाय तो बहुत जल्द कुछ सफेदपोश बेनकाब हो सकते हैं। सीएम नीतीश कुमार ने घोटाले की जांच कर रही एसआईटी के चीफ और पटना के सीनियर एसपी मनु महाराज को स्पष्ट निर्देश दिया है कि राज्य की छवि बदनाम करने वाले इस घोटाले से जिस किसी व्यक्ति, कर्मचारी, अफसर या नेता का सीधा कनेक्शन सामने आ रहा हो उसे हर हाल में धर दबोचें। खबर है कि नीतीश कुमार द्वारा अपनाए जा रहे कड़े रुख से उनके ही दो मंत्री बेहद डरे हुए हैं। हालांकि, मंत्रियों के शार्गिदों को विश्वास है कि सीएम ऐसा-वैसा कुछ नहीं होने देंगे।
दरअसल, बीएसएससी अध्यक्ष और सीनियर आईएएस अफसर सुधीर कुमार की कल (24 फरवरी को) हुई गिरफतारी का खुला मुखालफत करते हुए बिहार आईएएस एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जाय। एसोसिएशन के लोगों का आरोप है कि घोटाले में लिप्त बड़ी मछलियों को बचाने के लिए सुधीर कुमार को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। समझा जाता है कि अगर सीएम एसोसिएशन की मांग मान लेंगे तब बिहार सरकार पर कयामत आ जाएगी और कम से कम आधा दर्जन मंत्री और दो दर्जन से ज्यादा विधायक अपने आप को सीबीआई के शिकंजे में पाएंगे।
एसआईटी ने 24 फरवरी तक मामले में कुल 32 आरोपियों को गिरफ्तार किया है जिनमें आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार, सचिव परमेश्वर राम भी शामिल हैं। नवादा का रहने वाला अभिषेक कुमार तथा एकंगरसराय का संजीव कुमार उर्फ गुरूजी अभी भी फरार है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि जांच टीम के पास ठोस सबूत है कि ये दोनों शख्स बहुत दिनों से मंत्रियों के लिए काम करते रहे हैं। ये वही मंत्री हैं जो पार्टी के लिए पैसे का प्रबंध करते हैं। इनमें से एक मकाऊ का सैर करने के शौकीन हैं तो दूसरे सीएम की तरह दाढ़ी संवारने तथा पत्नी के नाम पर जमीन खरीदने के आदी हैं। वैसे सरकारी कुनबे में सुगबुगाहट है कि सीएम ने लगभग मन बना लिया है कि इन दो मंत्रियों से पिंड छुड़ा लिया जाय क्योंकि पब्लिक के बीच काफी बदनामी हो रही है।
इधर भाजपा ने भी तय किया है कि चल रहे बजट सत्र में बीएसएससी नियुक्ति घोटाला को जोर-शोर से उठाया जाएगा। जनसत्ता.काम से बातचीत में विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रेम कुमार ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सरकार इस केस को सीबीआई को सौंप दे। राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी पर दबाव है कि घोटाले में लिप्त बड़ी मछलियों को न छुआ जाए।’’ उधर, पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने सुधीर कुमार की गिरफ्तारी को गलत करार दिया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा ‘‘कुमार एक ईमानदार आईएएस अफसर हैं, मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव उनके पीछे पड़ा है क्योंकि एक जिले का डीम रहते हुए कुमार ने उसके ससुर को एक क्रिमिनल केस में गिरफ्तार करवाया था।’’ गौरतलब है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी सुधीर कुमार को एक ईमानदार दलित अफसर कहा है।