बिहार में शराबबंदी लागू है लेकिन उसकी धज्जियां खुद पुलिस वाले ही उड़ा रहे हैं। इसकी ताजा मिसाल बुधवार देर रात देखने को मिली। भागलपुर स्टेशन चौक की पुलिस गुमटी में चार कांस्टेबल को खुले आम शराब पीते कोतवाली इंस्पेक्टर पंकज कुमार सिंह ने दबोचा लिया। कोतवाली इंस्पेक्टर मौके पर तकरीबन सवा बारह बजे रात में पहुंचे थे। चार पुलिसकर्मी ठाठ से प्राइवेट आल्टो कार में सवार हो स्टेशन चौक की पुलिस गुमटी पर आए और अंदर बैठकर शराब पीने लगे। इनमें शशिकांत और राजीव रंजन एसएसपी दफ्तर के अकाउंट्स सेक्शन में और मधुकर सुमन और रोबिन कुमार पांडे पुलिस लाइन में तैनात है। दिलचस्प बात यह है कि पुलिस चौकी पर तैनात राइफलधारी सिपाही बाहर खड़ा होकर अपनी ड्यूटी बजाता रहा। उससे जब पूछा गया कि अंदर क्या हो रहा है तो उसने कहा, उसे पता नहीं है। गुमटी पर तैनात दो कांस्टेबल अंदर सोए थे। एक छुट्टी पर गया था।

सिटी डीएसपी शहरवार अख्तर ने बताया कि कोतवाली इंस्पेक्टर के साथ भागलपुर रेल थाना के एसएचओ सुधीर कुमार सिंह भी थे। इन चारों कांस्टेबल को जीआरपी थाना ले जाया गया। वहां ब्रेथ एनालाइजर से जांच की गई जिसकी रिपोर्ट पोजेटिव मिली। मसलन, चारों ने दारू पी रखी थी। उन्हें थाना कोतवाली लाया गया। तबतक एसएसपी मनोज कुमार भी वहां पहुंचे गए। शराबी पुलिसवालों की एसएसपी ने एक नहीं सुनी और कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर हाजत में डालने का आदेश दिया। मद्य निषेध कानून की अवहेलना की दफा के तहत एफआईआर दर्ज कर चारों को गुरूवार दोपहर जेल भेज दिया गया।

भागलपुर सिटी डीएसपी ब्रेथ एनलाइजर से शराबी पुलिसवालों की जांच करते हुए। (फोटो- गिरधारी लाल जोशी)

एसएसपी के मुताबिक इन चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच पूरी कर नौकरी से बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके अलावे पुलिस चौकी पर तैनात पुलिसकर्मियों और प्रभारी से भी पूछा जाएगा कि उनकी मौजूदगी में ये वहां शराब कैसे पी रहे थे। गौरतलब है कि इससे पहले नाथनगर के एक एएसआई को भी नशे की हालत में हंगामा करते गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। उससे पहले बीते साल बांका पुलिस लाइन के छह रंगरूट सिपाही अपनी ड्यूटी से गायब हो झारखंड के देवघर जाकर छककर शराब पी और फिर बिहार सीमा के अंदर इनावरण के नागराज ढाबे में आकर साथ लाई शराब की बोतलों को खोल पीने लगे थे। ढाबे के मालिक के मना करने पर बेवजह हंगामा करने लगे। मारपीट तोड़फोड़ पर उतारू हो गए। तब पुलिस को इत्तिला दी। चानन थाना की पुलिस ने उन सभी को दबोचा और जेल भेजा था। बाद में बांका एसपी की सिफारिश पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

यहां यह बताना जरूरी है कि बिहार में शराबबंदी कानून की अनदेखी और ढिलाई बरतने के इल्जाम में बीते दो महीने में 77 पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। इनमें 36 कांस्टेबल, 41 एएसआई, एसआई और इंस्पेक्टर रैंक के अफसर शामिल हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में आला अफसरों की बैठक कर शराब बंदी प्रभावी तरीके से लागू न करने वाले पुलिसवालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की हिदायत दी थी।

उधर पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश अनिल कुमार उपाधयाय की खंडपीठ ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि कानून इतना सख्त नहीं होना चाहिए की उसका पालन ही न किया जा सके। एक-दो बोतल शराब की बरामदगी पर दस करोड़ की जायदाद जब्त करना न्याय संगत नहीं है। अधिक मात्रा में शराब की बरामदगी हो तो कठोर कार्रवाई करें। कानून वाजिब होना चाहिए। अदालत ने कहा कि सरकार खुद ज्यादा समस्या उतपन्न कर रही है। ऐसी उचित कार्रवाई करें ताकि उसका सभी पालन कर सकें। अदालत ने सरकार के सम्पति जब्ती आदेश पर रोक लगाते हुए जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया है। खंडपीठ ने मुजफ्फरपुर के होटल चन्द्रलोक कॉन्टिनेंटल के मालिक राजेंद्र कुमार सिंह की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करने के दौरान टिप्पणी की है। इस होटल पर 17 अगस्त 2016 को छापा पड़ा था जिसमें कम मात्रा में शराब बरामद हुई थी।