बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडेय का राजनीति से पूरी तरह से मोहभंग हो चुका है। सहरसा में सात दिवसीय भागवत कथा में शिरकत करने पहुंचे बिहार के गुप्तेश्वर ने कहा कि वो इस जीवन में तो राजनीति में वापस नहीं जाना चाहेंगे। उनका कहना था कि वो डीजीपी थे तो पहले। बहुत से एनकाउंटर किए तो वो भी नौकरी का हिस्सा था। डीजीपी की पोस्ट से इस्तीफा देकर राजनीति में आने की कोशिश भी की लेकिन वो पास्ट था।
एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि आध्यात्म से ही समाज का कायाकल्प किया जा सकता है। जब तक व्यक्ति की चेतना में परिवर्तन नहीं होता तब तक अपराध या करप्शन कभी खत्म नहीं होगा। उनका कहना था कि कोई भी राजनीतिक व्यवस्था या कानून और समाज सुधारक समाज में सुधार नहीं ला सकता। हमें अपने आसपास को सुधारना है कि आध्यात्म के जरिए लोगों की चेतना को परिष्कृत करना होगा।
गुप्तेश्वर पांडेय 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। वो बिहार के डीजीपी थे। 2015 में जब बिहार सरकार ने राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया तो उन्होंने शराबबंदी के लिए अभियान चलाया। उन्होंने पुलिस महकमे में कई पदों पर काम किया। वो अपनी नई पहलों के लिए जाने जाते हैं, जिसमें पुलिस का जनता के साथ दोस्ताना संबंध बनाना भी शामिल है।
बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी, 2021 तक था। लेकिन उन्होंने असेंबली चुनाव से ऐन पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। माना जा रहा था कि नीतीश कुमार उन्हें टिकट देकर चुनाव में उतारेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से राजनीति में जाने के बाद वह अब भागवत कथावाचक बन गए हैं। उनका कहना था कि उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ। सनातनी परिवेश में रहने का अनुभव शुरू से ही है। अयोध्या से कथा प्रवचन की पूरी शिक्षा दीक्षा लेकर वह आध्यात्म की राह पर चल पड़े हैं। गौरतलब है कि बिहार में पुलिस सेवा के दौरान कई कारनामों से चर्चा में रहने वाले गुप्तेश्वर पांडेय ने सुशांत सिंह सुसाइड केस में रिया चक्रवर्ती पर बयान देकर खूब सुर्खियां बटोरी थीं।